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दशहरा- रावण अँकल कि डेथ एनिवर्सरी

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 रावण अंकल कि डेथ एनिवर्सरी हम लोग हर साल मनाते हैं और पता नहीं कब से उनका अंतिम संस्कार भी करते   आ रहें  है, इनके अंतिम संस्कार का खर्चा तो बढ़ता ही जा रहा है, पर यह अंकल इतने ढ़ीठ हैं कि मरने का नाम ही नहीं लेते। अब तो उनके प्रति न केवलश्रद्धा भाव दिखने लगी है, बल्की दिनों दिन बढ़ रही है, हर गली-मोहल्ले में उनके भक्त-अनुचर उनके दिखाए मार्ग का तत्परता से पालन कर रहें हैं, बाकी बेचारे लोग जो तमाम हथकंडे अपनाने के बाद भी ताकत और पैसे का जुगाढ़ नहीं कर पाए सबसे ज्यादा दुखी  और परेशान हैं, खैर रावण अंकल का पूरा खानदान जनता की सेवा में लगा है वह अपने परिवार से बाहर वाले किसी व्यक्ति को आगे नहीं बढ़ने देता, अब एक ही तरीका है कि उनसे रिश्तेदारी (गठजोड़) किया जाय और उसके पश्चात किसी मार्केटिंग गुरु से खुद का या फिर परिवार (संगठन) का प्यारा सा (डरावना) नाम रखा जाय, वैसे इनका किसी क्षेत्र (देश), जाति, धर्म से कोई वास्ता नहीं होता, इस परिवार में शामिल होने कि योग्यता स्वार्थ और मूर्खता है। जहाँ सही गलत का कोई अर्थ नहीं होता, सिर्फ गुलाम शरीर और मस्तिष्क को सर्वाधिक योग्य और उपयुक्त माना जाता है,