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Mahakumbh Mela

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  महाकुम्भ, प्रयागराज महाकुम्भ प्रयागराज में आपका स्वागत है महाकुम्भ की तैयारी में हर तरह के लोग अपने-अपने लक्ष्य साधने में लग गए हैं जिसमें पाखंडी, ढोंगी, धूर्त व्यापारी सभी के लिए भरपूर अवसर है हमारे महाकुम्भ में भौतिकता के चरम के अनुभूति आप सहजता से कर सकते हैं और अध्यात्मिक चेतना को ढूंढने, समझने के लिए निकले, भटकते हुए लोगों को भी देख सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ जनता जनार्दन का महासमुद्र है जो किसी सुविधा का बहुत आकांक्षी नहीं है वह तो महज गंगा, यमुना, संगम और प्रयागराज में अपनी उपस्थिति मात्र से खुद को धन्य मान लेता है उसकी ज़रूरतें और उम्मीद उतनी ही है जो बड़ी आसानी से पूरी हो जाती है और शहर का सब कुछ उसके लिए अद्भुत है। अभी वह उस औघड़ के सम्मुख है, कुछ डरा डरा तो है पर उत्सुकता कहीं ज्यादा है और वह औघड़ भी नया-नया है कहीं ज्यादा ओवर ऐक्टिंग न हो जाए यह सावधानी भी बरत रहा है। पूरा मेला बहुरूपियों और विदूषकों से भर जाता है जिसमें साधु सन्यासी के भेष में सदा से भीख मांग कर जीवन जीने वाले खानदानी भिखारी से लेकर सीजनल भिखारी बने लोगों की बाढ़ आ जाती है। इधर कुछ सालों से अपने संग...

Happy Diwali

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शुभ दीपावली   " स्वामी अवधेशानन्द गिरि" अयोध्या नगरी में करीब 500 वर्षों के बाद आज हमारे रामलला अपने पूर्ण स्वरूप में भव्य मंदिर में विराजमान होकर भारतवर्ष को आलोकित कर रहे हैं। अधरों पर मंद मुस्कान लिए जब रामलला अपने नए घर में दिवाली मना रहे हैं, तब यह नि:संदेह सभी भारतवासियों को गर्व की अनुभूति करने वाला पल है आप हर एक भारतवासी की 500 साल की पीड़ा उनके दुख उनके संघर्षों को समझ सकते हैं कि अपने ही देश में अपने ही भक्तों के बीच रामलला बेघर थे और टेंट में रहने को विवश थे 500 साल के संघर्ष, असहनीय दर्द और करोड़ों भक्तों के मौन आंसुओं को संबल तब मिला जब प्रभु श्री राम की महती कृपा से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने वह क्षण जब प्रधानमंत्री ने कहा "हमारे राम आ गए हैं" तो यह शब्दों में जीवन के उन सभी संघर्षों को का मर्म था जो हर एक राम भक्त ने इस क्षण के लिए उठाए थे । रामलला ने हम सभी को अपने जीवन चरित्र से स्पर्श किया है हमें संस्कारित किया है और हमें जीवन की मर्यादा का पालन करना सिखाया है मर्यादा की इस प्रतिमूर्ति, जिनके पैरों के स्पर्श ने अहिल्या माता को पत्थर से सजीव ...