waqf act

हम भारतीय

यह मोदी सरकार लगातार भारतीय मुसलमानों का हक छीन रही है पहले CAA और अब वक्फ संशोधन एक्ट बना रही है सोचिए भारतीय मुसलमान बेचारा कितना सीधा-साधा है उसे मौलाना और मदरसा से ज्यादा भला क्या चाहिए सरकार है कि जबरदस्ती कह रही है कि सभी गरीब मुसलमान पढ़ लिखकर बाकियों की तरह ही हो जाएं और उसका पंचर बनाने का धंधा उससे छिन जाए, सोचिए अब इससे उसके मौलिक अधिकार छिनेंगे की नहीं, शिक्षित होते ही वह मौलाना, मदरसा और उसके वोट के जो ठेकेदार हैं उनकी रोजी-रोटी भी छीन लेगा और इतने सारे लोग फिर से बेरोजगार हो जाएंगे और दंगा, आतंक, पत्थरबाजी का धंधा करने वाले लोगों का क्या होगा अच्छी खासी रोजी-रोटी खत्म हो जाएगी, ऐसे में भाजपा का भरपूर विरोध होना ही चाहिए क्योंकि जमीन की लूट से माफिया बने कुछ लोग और घरानों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ रही है आइए इसके लिए हम लोग मिलकर मोदी-शाह का विरोध करते हैं सोचिए CAA का खूब विरोध हुआ शाहीन बाग याद है ना, लागू भी हो गया, भाई अब तक कितने भारतीय मुसलमानों की नागरिकता गई उन लोगों को सामने लाना चाहिए, जो लोग एनआरसी, सीएए में क्रोनोलॉजी देख रहे थे कि मुसलमान की नागरिकता कैसे छीनी जाएगी यह बताने की कोशिश कर रहे थे उनसे फिर पूछा जाना चाहिए कि यह नागरिकता छीनने का जो खेल होना था वह क्यों नहीं हो रहा है।

इससे पहले सांसद ने जो वक्फ कानून बनाए थे वह भी तो राजनीति की वजह से ही हुआ था फिर हो रहा है तो दिक्कत क्या है अगर पहले की सरकारों के वाहियात निर्णय अच्छे लग रहे थे तो अब की सरकार का सही निर्णय स्वीकार करने में तकलीफ किस बात की है बाकी थोड़ा इंतजार करिए दूसरी सरकार आएगी तो वह अपने हिसाब से कुछ और कर देगी और आपके मनमाफिक चुनी हुई सरकार होगी तो उसे फिर बदल लीजिएगा, लोकतंत्र का तो यही मतलब है न चुने हुए लोग संसद में आते हैं और अपने हिसाब से अपने मतदाता समूह के लिए कानून बना लेते हैं और उसमें तुष्टिकरण का भी अपना योगदान होता ही है।

वैसे गहरे में देखा जाए तो हम सेकुलर सिविल कोड की तरफ बढ़ रहे हैं और हमारी बिगड़ी आदतों को उससे पहले दुरुस्त करने की आवश्यकता है जहां तक हिंदुओं की बात है तो इस तरह के ज्यादातर सुधार उनके साथ काफी पहले हो चुके हैं जो भारतीय संविधान और विधि से नियंत्रित होते हैं ना कि किसी हिंदू धर्म ग्रंथ से और हिंदू समाज अपने धार्मिक मान्यताओं को लेकर उतना सख्त नहीं है कुछ प्रतिक्रिया, जो कभी-कभी देखने को मिलते हैं उन्हें किसी तरह का व्यापक जन समर्थन नहीं मिलता और वायरल खबर से ज्यादा उनका महत्व नहीं होता है भाजपा कीअपनी बात समझने और सत्ता में आने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा यदि हिंदू भी इसी तरह की मानसिकता या प्रवृत्ति रखते होते तो क्या भाजपा के अलावा पूरे देश में कोई और सरकार में हो सकती था।
अभी जो हिंदू एकता जागरूकता या फिर जागरण देख रहे हैं उसका कारण अन्य लोगों की आक्रामकता के कारण है जहां उसे यहां बोध हुआ है कि उसकी सुरक्षा और अस्तित्व ऐसा बना रहने पर खतरे में पड़ जाएगा और उसकी पहचान से जुड़ी चीज कैसे धीरे-धीरे एक व्यवस्थित तरीके से खत्म की जा रही है और यह काम लगातार सदियों से हो रहा है। चाहे वह इस्लामी आक्रांत रहे हो या फिर क्रिश्चियन और आजादी के बाद हमने हिंदू मुसलमान के आधार पर जिस बंटवारे को स्वीकार किया और देश का एक बड़ा हिस्सा मुसलमानों को देश बनाने के लिए दे दिया या यूँ कहें एक बड़े भूभाग को हम मुसलमानों के लिए छोड़ चुके हैं तो इसका कारण क्या था हमारा मौन, हमारी स्वीकृत या फिर अपनी अखंड भारतीय अस्मिता को बनाए रखने की हमारी असमर्थता, इस बात को हमें स्वीकार करना होगा कि हम खंडित हैं।

ठीक है एक देश के तौर पर हमने कई देशों का निर्माण स्वीकार कर लिया है पर सभ्यता और संस्कृति के स्तर पर अखंड भारत का बोध अगर हमारे मन मस्तिष्क में बना रहे तो हर्ज क्या है क्योंकि सभ्यता और संस्कृति में समय के साथ बदलाव होते रहते हैं और सब कुछ एक जैसा कहां रहता है लेकिन हम क्या थे और क्यों ऐसे हो गए इसे भी हमें आने वाली पीढ़ियां को बताते रहना होगा और खुद के अतीत को भूलकर किसी सुनहरे भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते और यह तभी संभव है जब वर्तमान सुरक्षित हो।

इसके लिए इतिहास बोध की जो कहानी है, कथाएं हैं इसे ऐसे भी अगर मान लिया जाए तो एक राष्ट्र के रूप में हम कैसे बने रहेंगे और पहले से कितना मजबूत हम हो सकते हैं उसके लिए हमें अपनी कहानी कहते रहना चाहिए और उसे हमें अपनी भाषा, अपने शब्द, अपने संस्कारों के साथ करना ही होगा और उसमें रंच मात्र समझौता नहीं होना चाहिए क्योंकि राष्ट्र निर्माण एक सतत, अंतहीन प्रक्रिया है जिसकी निरन्तरता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है
RajhansRaju

अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 अब कानून बन गया है। वक्फ के वास्तविक उद्देश्य और जमीनी हकीकत को लेकर वक्फ बोर्ड पर लंबे समय से सवाल उठ रहे थे। वक्फ कानून के तहत बोर्ड को मिले असीमित अधिकारों का नतीजा था कि वक्फ को लेकर ऐसे दावे भी सामने आए, जहां पूरे गांव और सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर को वक्फ संपत्ति बता दिया गया।
वक्फ कानून की खामियों को दूर करने के बाद सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती होगी कि नए प्रावधान को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए, जिससे वक्फ संपत्तियों से उसकी वर्तमान कीमतों के हिसाब से आय सुनिश्चित हो सके और राशि गरीब मुसलमानों,विधवा महिलाओं और अनाथ बच्चों के कल्याण पर खर्च हो।
संशोधित कानून को लागू करने की अहम जिम्मेदारी राज्यों की है क्योंकि जमीन राज्यों का विषय है। राज्य सरकारें कानून की मूल भावना के साथ इसके प्रावधानों को कितने प्रभावी तरीके से लागू कर पाएंगी, इसकी पड़ताल अहम मुद्दा है।

क्या है वक्फ?

वक्फ कानून 1995 के मुताबिक, वक्फ का अर्थ है किसी चल-अचल संपत्ति को स्थायी तौर पर उन कार्यों के लिए दान करना, जिन्हें इस्लाम में पवित्र और धार्मिक माना जाता है।
वक्फ का उपयोग क्या है?
वक्फ संपत्तियों या इससे होने वाली आय का उपयोग मस्जिद और कब्रिस्तान के रख-रखाव, शिक्षण संस्थाओं और स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाओं का प्रबंधन करने और और गरीबों व विकलांगों की मदद करने के लिए की जानी चाहिए, ऐसी उम्मीद की जाती है।

वक्फ कानून में संशोधन क्यों किया गया?
1. वक्फ संपत्तियों की अपरिवर्तनीयता
'एक बार वक्फ, हमेशा वक्फ' के सिद्धांत ने विवादों को जन्म दिया है। जैसे बेट द्वारका में द्वीपों पर दावे, जिन्हें अदालतों ने भी उलझन भरा माना है।
2. कानूनी विवाद और कुप्रबंधन
वक्फ अधिनियम, 1995 और इसका 2013 का संशोधन खास कारगर नहीं रहा है। इससे कई तरह की समस्याएं पैदा हुई हैं।
वक्फ भूमि पर अवैध कब्जा
कुप्रबंधन और स्वामित्व विवाद
संपत्ति पंजीकरण और सर्वेक्षण में देरी
-बड़े पैमाने पर मुकदमे और मंत्रालय को शिकायतें

3. कोई न्यायिक निगरानी नहीं
वक्फ न्यायाधिकरण के निर्णयों को उच्च न्यायालयों में चुनौती नहीं दी जा सकती।
वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी।
4. वक्फ संपत्तियों का अधूरा सर्वेक्षण
सर्वेक्षण आयुक्त का काम खराब रहा है, जिससे सर्वेक्षण में देरी हुई है।
गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अभी तक सर्वेक्षण शुरू नहीं हुआ है।
उत्तर प्रदेश में 2014 में शुरू हुआ सर्वेक्षण का काम अभी भी लंबित है।
विशेषज्ञता की कमी और राजस्व विभाग के साथ खराब समन्वय ने पंजीकरण प्रक्रिया को धीमा किया।
5. वक्फ कानूनों का दुरुपयोग
कुछ राज्य वक्फ बोर्डों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है, जिसकी वजह से सामुदायिक तनाव पैदा हुआ है। निजी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए वक्फ अधिनियम की धारा 40 का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया है, जिससे कानूनी लड़ाई और अशांति पैदा हुई है।
6. वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता
वक्फ अधिनियम केवल एक धर्म पर लागू होता है, जबकि अन्य के लिए कोई समान कानून मौजूद नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है, जिसमें सवाल उठाया गया है कि क्या वक्फ अधिनियम संवैधानिक है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित वक्फ अधिनियम 1995 संशोधन विधेयक बीते कुछ महीने से लगातार चर्चा में रहा है। इस विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की चर्चा और सुझावों के बाद अब इसे संसद में पेश किए जाने की तैयारी की जा रही है। राजनीतिक दलों के बीच इस विधेयक को लेकर लगातार हंगामा भी हो रहा है। यहां जानिए क्या है वक्फ बोर्ड से जुड़ा कानून और इसमें आया संशोधन।

वक्फ बोर्ड कानून क्या है?

WAQF Board Act Amendment Bill: बुधवार, 2 अप्रैल को 1995 के वक्फ कानून में बदलाव को लेकर लाया गया वक्फ बोर्ड संशोधन बिल संसद के पटल पर पेश किए जाने की तैयारी है। इस संबंध में संयुक्त समिति की रिपोर्ट पूरी हो चुकी है। इस बिल का मकसद वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाने के साथ महिलाओं को इन बोर्ड में शामिल करना है। सरकार के अनुसार मुस्लिम समुदाय के भीतर से उठ रही मांगों को देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। इस विधेयक का उद्देश्य मौजूदा वक्फ अधिनियम के कई खंडों को रद्द करना है। ये रद्दीकरण मुख्य रूप से वक्फ बोर्ड के मनमाने अधिकार को कम करने के मकसद से किया जा रहा है, जो वर्तमान में उन्हें अनिवार्य सत्यापन के बिना किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा करने की अनुमति देता है। राजनीतिक दलों के बीच इस बिल को लेकर खीचतान जारी है।

वक्फ विधेयक 2025 लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित हो गया है। इसके मुख्य अंश निम्नलिखित हैं:


लोकसभा में पारित:
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक बहुमत से पारित हो गया।
विधेयक के पक्ष में 288, जबकि विरोध में 232 मत पड़े।

राज्यसभा में पारित:
राज्यसभा में लंबी बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 को 95 वोट के मुकाबले 128 वोट से पारित कर दिया गया।
राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 128 वोट पड़े, जबकि 95 सांसदों ने इसका विरोध किया।

विधेयक के मुख्य प्रावधान:
विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन कर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन वक्फ करना चाहता है तो उसमें विधवा या तलाश शुदा महिला या यतीम बच्चों के अधिकार वाली संपत्ति को वक्फ नहीं किया जा सकेगा।
इस विधेयक के द्वारा वक्फ संपत्तियों के उचित प्रबंधन से इनका बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा और इनसे प्राप्त होने वाले लाभ समाज के विकास के लिए उपयोग किए जा सकेंगे।
जब यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा, तो इसका नाम 'उम्मीद' (UMEED) होगा।
कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति तभी वक्फ को दान कर सकता है, जब वह कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन कर रहा हो।
वक्फ बोर्ड कानून
भारत में वक्फ की अवधारणा दिल्ली सल्तनत के समय से चली आ रही है, जिसके एक उदाहरण में सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर (मुहम्मद ग़ोरी) की ओर से मुल्तान की जामा मस्जिद को एक गांव समर्पित कर दिया गया था। साल 1923 में अंग्रेजों के शासन काल के दौरान मुसलमान वक्फ अधिनियम इसे विनियमित करने का पहला प्रयास था।
साल 1954 में स्वतंत्र भारत में वक्फ अधिनियम पहली बार संसद की ओर से पारित किया गया था।
साल 1995 में इसे एक नए वक्फ अधिनियम से बदला गया, जिसने वक्फ बोर्डों को और ज्यादा शक्ति दी। शक्ति में इस इजाफे के साथ अतिक्रमण और वक्फ संपत्तियों के अवैध पट्टे और बिक्री की शिकायतों भी बढ़ गईं।
साल 2013 में, अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे वक्फ बोर्डों को मुस्लिम दान के नाम पर संपत्तियों का दावा करने के लिए असीमित अधिकार प्रदान किए गए। संशोधनों ने वक्फ संपत्तियों की बिक्री को असंभव बना दिया।

वक्फ बोर्ड के पास इतनी संपत्ति
वक्फ बोर्ड के पास इतनी संपत्ति
वक्फ इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से समर्पित संपत्तियों को संभालने का काम करता है। एक बार वक्फ के रूप में नामित होने के बाद संपत्ति दान करने वाले व्यक्ति से अल्लाह को ट्रांसफर हो जाती है और यह अपरिवर्तनीय होती है। इन संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ या सक्षम प्राधिकारी की ओर से नियुक्त मुतव्वली द्वारा किया जाता है।

रेलवे और रक्षा विभाग के बाद वक्फ बोर्ड कथित तौर पर भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूमि धारक है। वक्फ बोर्ड भारत भर में 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड सहित 32 वक्फ बोर्ड हैं। राज्य वक्फ बोर्ड का नियंत्रण लगभग 200 व्यक्तियों के हाथों में है।


इन बदलावों पर हो रहा विचार
इन बदलावों पर हो रहा विचार
यह बिल मौजूदा वक्फ कानून में लगभग 40 बदलावों का प्रस्ताव रखता है। इसके तहत वक्फ बोर्डों को सभी संपत्ति दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
इसका उद्देश्य वक्फ बोर्डों की संरचना और कामकाज को बदलने के लिए धारा 9 और 14 में संशोधन करना है, जिसमें महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व को शामिल किया गया है।
इसके अलावा, विवादों को निपटाने के लिए वक्फ बोर्डों द्वारा दावा की गई संपत्तियों का नया सत्यापन किया जाएगा और दुरुपयोग को रोकने के लिए, जिला मजिस्ट्रेट वक्फ संपत्तियों की निगरानी में शामिल हो सकते हैं।
द इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, यह कानून वक्फ बोर्डों की मनमानी शक्तियों को लेकर व्यापक चिंताओं के कारण लाया जा रहा है। उदाहरण के लिए, सितंबर 2022 में, तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने मुख्य रूप से हिंदू बहुल तिरुचेंदुरई गांव पर अपना दावा जताया था।

यह भी जानिए

वक्फ कानून के नए स्वरूप को मुख्य रूप से मैं इस तरह समझ पा रहा हूँ ----
1 - ASI द्वारा संरक्षित इमारतों पर अब वक्फ का दावा हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगा ---बिना किसी किन्तु -परन्तु के --- यह बेहद अहम् बिंदु है ---
2 - वक्फ की वे सम्पत्तियां जो राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है , जांच के अधीन आएँगी और उनमें से जो गड़बड़ पाई जाएंगी उन पर से वक्फ का दावा ख़ारिज हो सकता है --यानी वे सम्पत्तियाँ मुक्त हो सकती हैं ---
3 -आदिवासी बहुल इलाकों में अब वक्फ नहीं हो सकेगा --यानी अब देश के पूर्वोत्तर ,ओडिशा ,झारखण्ड और छत्तीसगढ़ जैसे हिस्से में वक्फ के लिए नो इंट्री होगी
4 --अब वक्फ वाई यूज़र नहीं हो सकेगा --- अब वक्फ केवल दान से ही हो सकेगा और दानदाता को भी दान की जा रही संपत्ति पर अपना स्वामित्व प्रमाणित करना होगा --यानी अब कोई गुमनाम अब्दुल समद पूरा संभल शहर वक्फ नहीं कर सकेगा ---

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Comments

  1. आइए अपनी बात आगे बढ़ाएं

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  2. सारा खेल समझ का है मुस्लिम समाज को अपनी प्राथमिकताएं सही करनी होगी

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  3. मुसलमान की नागरिकता कैसे छीनी जाएगी यह बताने की कोशिश कर रहे थे उनसे फिर पूछा जाना चाहिए कि यह नागरिकता छीनने का जो खेल होना था वह क्यों नहीं हो रहा है।

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