Addiction

नशाखोरी 


अब क्या
, कभी भी सामाजिक व्यवहार में नशे को रोक पाना नामुकिन ही रहा है, राज्य चाहे जितने कडे कानून बना ले, नशा करने वाले कोई न कोई तरीका निकाल ही लेते हैं। इसको रोकने के जितने कठोर कानून बनाए जाते है। उससे जुडे अपराधी और माफिआ उतने ही अधिक ताकतवर होते जाते है क्योंकि उनका मुनाफा और बढ़ जाता है। इसके शिकार ज्यादतर गरीब लोग होते हैं क्योकि तब ए लोग तेज़
, सस्ता और खतरनाक नशीले पदार्थों का सेवन करने को बाध्य होते हैं। नशा ऐसी आदत है कि यह किसी कानून के डर या उपदेश से नहीं रोका जा सकता है। तमाम राज्यों में शराब बंदी जैसे कानूनों के होने बवज़ूद ज़हरीले शराब से मरने की घटनाएँ इसी वज़ह से रोकी नहीं जा सक रही है। अब तो शराबखोरी प्रतिबंधित कराने के बजाय, कैसे पीना चाहिए कि आपको कम से कम नुकसान हो पर ज्यादा जोर होना चाहिए। अकेलापन, अवसाद आज़ की सच्चाई है। घर, कार्यस्थल और प्रार्थना स्थलों को अपनी भूमिका ठीक करनी होगी। वैसे किसी की भूमिका कम नहीं है परंतु घर का परिवेश सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता जो सारी मुसीबतों से लडने की ताकत देता है और यह लडने का आत्मबल ही तमाम बुराइयों से दूर रखता है  सच तो यह है कि हम सभी को मरहम के चंद अल्फाज़ चाहिए। वैसे जहाँ तक इलाज की बात है तो वह  मँहगा और कठिन है! और दूसरी तरफ हमारे सियासत दार हैं जिन्हें सियासत के सिवा कुछ नहीं आता, उन्होने तो सिर्फ चिगारियाँ बाँटी है, शायद इसके सिवा, कुछ कर भी नहीं सकते या फिर आता ही नहीं, कुछ नहीं कर सकते तो थोडा भावुक होइए, अपने आस-पास को लेकर अपने लोगों के लिए कि हम कैसा देश और समाज़ बनाने जा रहे हैं। कुछ ऐसा बोलिए ऐसा करिए कि लगे आप उनकी परवाह करते हैं। आप से कुछ नहीं चाहिए।
🌹🌹❤️❤️❤️🙏🙏🙏🌹❤️
🌹❤️❤️🙏🙏🙏🌹🌹











*****************
my facebook page 
***************

***********
facebook profile 
************

***************





*********************************
my Youtube channels 
**************
👇👇👇



**************************
my Bloggs
***************
👇👇👇👇👇



****************************





**********************

Comments

  1. जहाँ तक इलाज की बात है तो वह मँहगा और कठिन है! और दूसरी तरफ हमारे सियासत दार हैं जिन्हें सियासत के सिवा कुछ नहीं आता, उन्होने तो सिर्फ चिगारियाँ बाँटी है, शायद इसके सिवा, कुछ कर भी नहीं सकते या फिर आता ही नहीं, कुछ नहीं कर सकते तो थोडा भावुक होइए, अपने आस-पास को लेकर अपने लोगों के लिए कि हम कैसा देश और समाज़ बनाने जा रहे हैं। कुछ ऐसा बोलिए ऐसा करिए कि लगे आप उनकी परवाह करते हैं। आप से कुछ नहीं चाहिए।

    ReplyDelete

Post a Comment

अवलोकन

Brahmnism

Ramcharitmanas

Mahakumbh

My village

Swastika

Message to Modi

Parashuram ki kahani

RSS

we the Indian

Aham brahmasmi