Message to Modi
लोकसभा चुनाव का विश्लेषण
बहुत सारे आंकड़े बहुत सारे तरीके से समझे और समझाए जाएंगे की कौन सी पार्टी क्यों जीती? क्यों हारी और हार-जीत दोनों की अपनी अपनी व्याख्या होती रहेगी और इस व्याख्या करने का भी एक बड़ा बाजार है जिसमें व्याख्या करने वाले बुद्धिजीवी अपनी दुकान अच्छे से चला रहे हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में भाजपा की सीटों के कम होने का आकलन करना चाहते हैं तो उत्तर प्रदेश में बसपा के वोट बैंक का आकलन करना होगा कि कि चुनाव में बसपा ने कितना वोट हासिल किया और वह वोट किस तरफ गया। उत्तर प्रदेश में हुए चुनाव के आंकड़े देखिए कि भाजपा को कब ज्यादा लाभ मिला जब बसपा का वोट उसके पास बना रहा।
जहां एक ओर भाजपा समर्थकों का वोट बैंक है तो इनसे किसी मामले में जो विरोधी वोटर समूह है वह इनसे कम नहीं है और भाजपा के लोग सबका वोट लेने के चक्कर में अपने मुख्य मतदाता समूह को नजरंदाज करने लग जाते है और भाजपा विरोधी समूह जो उसे किसी कीमत वोट नहीं देता, उसकी चाटुकारिता में लगा रहता है और उसके बाद भी वह वोट हासिल नहीं होता।
क्योंकि वह अपनी जातीय चेतना और विचारधारा के अनुसार वोट करने वाला मतदाता समूह होता है उसके लिए आप चाहे जो भी काम कर दीजिए या कितने भी बड़े आश्वासन दे दीजिए वह अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करता और नेता के पाल्हा बदला लेने से भी वह अपनी आस्था से समझौता नहीं करता। मतलब नेता तो जाता है पर वोटर नहीं जाता, महाराष्ट्र में सभी भाजपा विरोधी भाजपा से जु़ड़े पर वोटर वहीं रहा और भाजपा विरोधियों को एकजुट वोट करने का निश्चित विकल्प मिल गया और विरोधियों का बिखराव नहीं होने पाया।
अब आप उत्तर प्रदेश में सपा के जो मुख्य मतदाता समूह है उनके बारे में विचार करिए तो वह मुस्लिम और यादव है यादव अपनी जातीय चेतना और यादववाद से पूरी तरह प्रभावित है और वह किसी अन्य समूह या दल के व्यक्तिको वोट देने को तैयार नहीं है और इसी तरह मुसलमान भी अपनी एक खास समझ के साथ जूझ रहा है और वह भाजपा को हराने वाले दल और व्यक्ति के साथ खड़ा रहता है इसको भाजपा के सही गलत से कुछ लेना-देना नहीं है इसको हर हाल में भाजपा का विरोध करना है और भाजपा को हराना है और भाजपा इस्लाम के विरुद्ध है यह बात उसके दिमाग में बहुत मजबूती से बैठा हुआ है और इस्लाम उसके लिए सबकुछ है। उसे सिर्फ इस्लाम चाहिए और यह भावना वैश्विक है मध्यपूर्व के इस्लामिक देशों को देखिए और उसका बचाव करने वाले तर्क मत ढूंढिए और उनके बर्बाद होने का कारण समझिए तो उसके पीछे इसी तरह का मनोविज्ञान है खैर अपने देश के चुनाव परिणाम पर आते हैं।
जाति हमारे समाज कि सच्चाई है इस बात से मुंह मत मोड़िए क्योंकि इससे सच नहीं बदलेगा और इसके समीकरण साधने को ही social engineering कहा जाता है अब आप कितने अच्छे Engineer हैं खेल इस बात का है। अफसोस करने के बजाय engineering सही करने कि जरूरत है
©RajhansRaju
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sahamat
ReplyDeleteराजनीति का यथार्थ यही है
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