Jagjeet Singh | श्रद्धांजली-गजल सम्राट को


तुम जग छोड़ के चले गए, तुम्हारे बिना गजल अकेली हो गयी, वह उदास, तन्हा तुम्हें याद कर रही है, तुम्हारी आवाज़ में ढलकर वह निखर जाती थी, हम तक सुनहरे अल्फाज़ शहद कि मिठास लेकर आते थे, तुम्हारे बिना ग़जल कैसे रहेगी, तुम्ही ने तो उसमे नयी जान डाली थी, खास से आम तक तुम्हारी जादुई आवाज़ ने पहुचाई थी. किसी रुख से जब नकाब सरका था, जुल्फ के झटकने से टूटते मोतिओं को जाना था, बचपन में वापस लौटकर कागज़ कि कश्ती चलाई थी, फिर तुम बिना किसी सन्देश हमें छोड़ गए. तुम्हारी हर गजल हमारी धरोहर है, इनमे तुम्हारी सांसों का एहसास छुपा है. जो इस दुनिया के कायम रहने तक हर दिल में रहेगी. 
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