एख ख़बर मीडिया की
कौन से ऐंगल से क्या दिखाना है, क्या मतलब बताना है, नहीं.. नहीं अरे भाई क्या साबित करना है? किसके पक्ष में? दूसरा पक्ष? अबे ए क्या होता है? TRP सही आ रही है न, बस.. बस.. ज्यादा ज्ञान न दो, सब चलता है , entertainment+news=perfect business. आइए कुछ घटनाओं पर गौर करते हैं.. अरे! जो आपके अपने शहर या गााँव की हैं, मतलब
जिसकी काफी हद तक आपको जानकारी है, उसकी कैसे व्याख्या होती है, पता चला आप ही के बारे में इतना कुछ बता दिया गया, जो आपको आज तक पता ही नहीं था। तो फिर स्थानीय घटनाओं का जिक्र करते हैं और आप भी सूचना या news की बमबारी से होने वाले प्रभाव का आकलन करिए...
हमारे नैनी, इलाहाबाद में अभी दो दिन पहले दो Engineering छात्रों की हत्या कर दी गयी। तो हो सकता है उन्होंने ने भी कोई गलती की है? पर हत्या ?? मीडिया के लिए no news, क्योंकि .. no dalit, no minority was killed. और कुछ दिन पहले दो दलितों की उन्हीं के पड़ोसियों ने पीटकर हत्या कर दी no news because, Dalit was killed by Dalit, यहीं की एक और घटना है, media ने जोर शोर से coverage शुरू किया कि बेचारे मुस्लिम पर चाकू से हमला... इस बार प्रशासन ने हवा निकाल दी, कहानी उल्टी निकल गई, मारने वाला .. निकला और घायल .. दोनों न दलित न सवर्ण.. हाय रे media की किस्मत।
एक और घटना इस बार इलाहाबाद शहर के ठीक ठाक restaurant में दो लफंगे गुट आपस में भिड़ गए, दोनों को एक दूसरे की जाति नहीं मालूम थी और ए भी नहीं मालूम था, कौन ज्यादा बड़ा लफंगा है, एक दूसरे की कुटौउल शुरू हुई, उसमें एक की अफसोस.. मौत हो गई, इस बार media की lottery लग गई, मारने वाला सवर्ण, मरने वाला दलित, 100% पुष्ट, अब जाकर सही समाचार मिला, लोगों को मरना, मारना भी नहीं आता.. कोई और मसाला मिलने तक..
एक और घटना इस बार इलाहाबाद शहर के ठीक ठाक restaurant में दो लफंगे गुट आपस में भिड़ गए, दोनों को एक दूसरे की जाति नहीं मालूम थी और ए भी नहीं मालूम था, कौन ज्यादा बड़ा लफंगा है, एक दूसरे की कुटौउल शुरू हुई, उसमें एक की अफसोस.. मौत हो गई, इस बार media की lottery लग गई, मारने वाला सवर्ण, मरने वाला दलित, 100% पुष्ट, अब जाकर सही समाचार मिला, लोगों को मरना, मारना भी नहीं आता.. कोई और मसाला मिलने तक..
वैसे इन समाचारों का कोई follow-up?? अरे! वो रोहित बोमिला के परिवार की .. छोड़िए नहीं पूँछते.. भाई हम लोग media को क्या कहेंगे, media तो देश, समाज, business... किसे ... अरे वही .. news business.. कोई बात नहीं, ए भी तो धंधा ही है..। मान लेने में क्या बुराई है।
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सच से तो हम सब वाकिफ हैं
ReplyDeleteमनमाफिक को चुन लेगा
बाकी का जाने क्या होगा
कबिरा खड़ा बज़ार में, लिया लुकाठी हाथ।
ReplyDeleteबन्दा क्या घबराएगा, जनता देगी साथ।।
छीन सके तो छीन ले, लूट सके तो लूट।
मिल सकती कैसे भला, अन्नचोर को छूट।।
आज गहन है भूख का, धुँधला है आकाश।
कल अपनी सरकार का, होगा पर्दाफ़ाश।।
(नागार्जुन)