सब जगह जाम है

Traffic Jam

आपका शहर में स्वागत है
आजकल "जाम" हर शहर में भयानक रूप धारण कर चुका है इसका कारण क्या है? तो मानी हुई  बात है कि हम संसाधनों का विकास उस तरह से नहीं कर पाए हैं जितनी हमारी जरूरतें हैं अब अगर इन जरूरतों के अनुकूल, संसाधन नहीं होंगे तो समस्या आएगी ही। गाड़ियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है, हर आदमी कार से चलना चाहता है पर यह गाड़ियां कहाँ चलेंगी और रूकेंगी? इस बात की फिक्र किसी को नहीं है, बस गाड़ियां खरीदते, बेचते रहो और बाजार फलता-फूलता रहे। सड़कों की हालत देखिए, हर तरफ भयानक मंजर ही नजर आता है, सब कुछ नाकाफी है। सड़क कितनी भी चौड़ी कर दी जाए, कितने भी फ्लाईओवर बना लिया जाएं लेकिन जाम तो जैसे एक शाश्वत सत्य बन गया है जितनी जगह मिलेगी उतना ही बड़ा जाम लगेगा।
     आइए देखते हैं इसके मूल कारण क्या हैं? तो पहला कारण है- अनुशासन की कमी, सड़कों पर आज भी हमें चलना नहीं आता, कोई भी यातायात के नियमों का पालन करने को तैयार नहीं है और ज्यादातर लोग सड़क पर ऐसे चलते हैं जैसे किसी जंग पर निकले हों और यही मानसिकता समस्या की जड़ है।
    उसके बाद आता है मूलभूत ढांचा जिसमें सड़कों का निर्माण, डिजाइन और यातायात प्रबंधन होता है, अब ए किस चिड़िया का नाम है? फिलहाल जो भी है, उसकी बेहद कमी है। हलाँकि इसको बाद में रखना सही नहीं होगा, पर! संसाधन इतने कम भी नहीं हैं कि काम न चल सके। बस उसका सही इस्तेमाल आना चाहिए, जिसके लिए अनुशासन पहली शर्त है।
     देश में तेजी से शहरीकरण हो रहा है और गांव का अस्तित्व संकट में है गांव शहरों में तबदील हो रहे हैं और शहर? अभी उस आबादी को उठाने के लिए तैयार नहीं है, और कोई भी गांव में नहीं रहना चाहता ऐसे में शहर उस अतिरिक्त आबादी का भार उठाने के लिए सक्षम नहीं है। जिसके लिए मूलभूत ढांचे का मजबूत होना अति आवश्यक है उस मूलभूत ढांचे में निश्चित रूप से सड़क, बिजली और पानी जैसी चीजें तो आती ही हैं, पर ए जो शहर होता है उसमें आवास एक एक प्रमुख आयाम है। जो शहर को लोगों के रहने लायक बनाता है और जब लोग रहेंगे, तब एक बाजार भी चाहिए। ऐसे में आवास कहाँ पर हो, बाजार कहाँ पर हो, इसकी एक निश्चित व्यवस्था होनी चाहिए और अगर इससे समझौता किया गया तो पूरा शहर अव्यवस्थित हो जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी निश्चित रूप से प्रशासनिक अमले की होगी। अब जब शहर में आबादी का केंद्रीकरण होगा तो ऐसे में किस तरह की यातायात व्यवस्था हो इस पर भी विचार करना आवश्यक हो जाता है। तो हर शहर को एक रिंग रोड चाहिए। जिससे गैरजरूरी वाहनों को शहर से बाहर रखा जा सके, इसका एक फायदा यह होगा कि शहर वालों को प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी तो दूसरी ओर इन वाहनों को जाम में फंसे रहने की समस्या से भी निजात मिल जाएगी। 
            अब जरूरत इस बात की है कि हम बड़े शहरों का निर्माण करें और बड़े शहर की जो जरूरतें हैं उसको ध्यान में रखें। अगर हम ऐसा नहीं कर पाएं तो और अव्यवस्थित तरीके से शहरीकरण तो होगा ही जिसे रोका नहीं जा सकता और वह निष्चित रूप से एक गंदी बस्ती के रूप में होगा जो बिल्कुल भी मनुष्य के रहने लायक नहीं होगा।
           ऐसी स्थिति में हमें अनुशासित शहर चाहिए, जो हर तरह से लोगों की जरूरतें पूरी कर सके,अभी फिलहाल जो शहरों का ढांचा है वह पूरी तरह से निराशाजनक, अमानवीय है और शहर की अव्यवस्था सारी व्यवस्था को निगल जाती है। ऐसे में शहर को कैसा होना चाहिए? वहाँ जनभागीदारी कैसे हो? कैसे लोगों के लिए शहर और शहर लोगों के लिए कैसा हो? इसके लिए हमें शहरों को नए आकार और डिजाइन में बनाना होगा, जो स्थानीय जरूरतों के हिसाब से लोगों के रहन-सहन को सही दिशा प्रदान कर सके।
      हमारे यहां समस्या का मूल कारण यह है कि शहर अपने आप बस रहे है। इसे बसाया नहीं जा रहा है, तो इसके पीछे निश्चित रूप से सरकारी तंत्र की असफलता है और जब तक शहरों को व्यवस्थित ढंग से बसाया नहीं जाएगा तब तक यह समस्या बनी रहेगी और अब ग्राम केंद्रित योजनाओं के बजाए, शहर केंद्रित योजनाओं को बनाना होगा क्योंकि रोजगार और शिक्षा के सारे अवसर तकरीबन शहरों में हैं, इसलिए भी कोई गांव में भला क्यों रहेगा? अब अपनी समग्र योजनाओं को नए सिरे से परिमार्जित करने की आवश्यकता है। अन्यथा पूरा देश गंदी बस्ती के रूप में परिवर्तित हो जाएगा। ऐसे मे नए शहरों का निर्माण किया जाना बेहद जरूरी है या कुछ यूँ कहें कि अब कोई विकल्प ही नहीं है,सुधरने के सिवा।
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Comments

  1. इस दुनिया को,
    आबाद रखने की यही शर्त है,
    इसका खारापन सोखने को,
    हमारे पास,
    एक समुंदर हो।

    ReplyDelete
  2. ब्द और भाषा से ही,
    परिभाषा रचता रहा ।
    अगर कभी बाहर से,
    मौन हुआ भी तो,
    अन्दर सब चलता रहा ।

    ReplyDelete

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