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एक आतंकी (जिन्दा) पकड़ा गया
(sketch from The Hindu)
पकडे‌ जाने के बाद भी वह लड़का काफी खुश नज़र आ रहा है, चलो ज़ान तो बची ही और अब मुफ्त में अपना प्रचार करने के लिए पोज़ देना है, सारे अखबारों में मुख्य पेज़ पर उसकी फोटो लगी भी है, भाई अपना काम तो हो गया, बाकी ए कैमरे कर डा‌लेंगे। क्या हम इन ना समझ बच्चों को महान आतंकवादी और ज़ेहादी कहना बंद करेंगे? अति राष्ट्रवाद के चक्कर में इनकी अति आलोचना इन्हें एंटीहीरो की तरह प्रस्तुत करती है और टीवी और अखबारों मे पूरा दिन और पूरा पन्ना समर्पित कर दिया जाता है,कैसे-कैसे क्या-क्या हुआ,सब कुछ फिल्मी, रहस्य, रोमांच से भरपूर। अगर किसी ने दूसरा पक्ष उठाया वह अराष्ट्रीय, अदेशभक्त और गद्दार घोषित हो जाएगा। वैसे इनको बच्चा या लड़का कहना भी अच्छा तो नहीं माना जाएगा। फिर भी क्या हम ऐसे घरों की तश्वीर लोगों को दिखा सकते हैं कि ए कौन सी फैक्टरी, उसके माँ-बाप कैसे बेबस,बेकार या फिर शांनदार कलाकार हैं, जिनकी गलती या फिर समझदारी से आज़ ऐसा हथियार बन गया जो बिना सोचे समझे किसी पर भी गोली चला सकता है वह न बच्चों को पहचानता है न औरतों को, उसमे यह ज़हर कहाँ से आया और जब यह ज़हर भरा जा रहा था,उस वक़्त वो क्या कर रहे थे, उन्होने अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई? उनके कौन से हालात थे जो उन्हे रोकते थे, अपने बेटे को ऐसा बनने से रोकने में? वैसे इनके घर कि स्थिति (सामाजिक,आर्थिक) की जानकारी मिलपाती तो अच्छा होता। कोई पढ़्ने लिखने की उम्र में क्यों हथियार उठा लेता है? उसके पीछे कौन सी मज़बूरी होती है, उसकी माँ इस समय कैसे होगी? जबकी उसका बेटा कसाई बन गया है, बाप कि जिम्मेदारी में कौन सी कमी रह गयी थी, जब ऐसी सोच और बातें पडो‌स में हो रही थी, तो सारे समझदार लोग चुप थे उस वक़्त क्यों किसी के पास वक़्त नहीं था, हम ऐसे स्कूल क्यों नहीँ बना पाए जहाँ इंसानियत की समझ पैदा होती, बच्चो में सही गलत समझने की छमता आ पाती उन्हे कोई धर्म गुरू, नेता अपना गुलाम न बना पाता, बात सिर्फ किसी पडोसी देश कि नहीं है, यह जिम्मेदारियां हमारी अपनी बच्चो के लिए ही है। आज़ हम उनके लिए कैसा देश और समाज़ गढ़रहे है? हम बबूल के बीज़ बोकर किसी और फसल की उम्मीद नहीं कर सकते औरनिश्चित रूप से हमे काँटे ही मिलेंगे...
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Comments

  1. viral होने के चक्कर में क्या से क्या कर बैठते हैं

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