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Sangh and Indian Muslim

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 संघ और भारतीय मुसलमान : सिर्फ़ राजनीतिक दृष्टि अक्सर सच्चाई को धुँधला कर देती है। इसलिए कि वह पक्षधरता से अनुप्राणित होती है। वह तटस्थता से हर पहलू नहीं देखती। उदाहरण के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत के मस्जिद और मदरसे जाने की घटना को सोशल मीडिया पर जिस तरह राहुल गाँधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा का सीधा नतीजा कहा गया, वह इच्छापूर्ति ज़्यादा है, यथार्थ कम। सोशल मीडिया के विद्वान यह भूल गए कि संघ का अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ पहले से है जिसमें कई रंग के मुस्लिम हैं। संघ ने अब बड़े पैमाने पर नामी-गिरामी मुस्लिम चेहरों से सम्पर्क करने का इरादा किया है, यह मोहन भागवत के प्रयत्न से मालूम होता है। इसीलिए कई बड़े मुस्लिम बुद्धिजीवियों से सरसंघचालक की मुलाकात हुई जिसे इच्छापूर्ति वाले सोशल मीडिया के ज्ञानियों ने अनदेखा किया।  हम जिस दुनिया में रह रहे हैं, उसमें केवल स्थानीय घटनाएँ प्रभावित नहीं करतीं। अंतर्राष्ट्रीय स्थितियों से आँख मूँदकर संकीर्ण राजनीतिक पक्षधरता तो दिखायी जा सकती है, सच्चाई के आसपास नहीं पहुँचा जा सकता। कल ही इंडियन एक्सप्रेस में बद्री नारायण का लेख प्रकाशित हुआ था कि राहुल जिस धारणा क