Posts

Showing posts from January, 2019

The culture market

Image
बाजार चीजों को किस तरह से नियंत्रित करता है इसको अगर समझना हो तो आप कुंभ मेले में भी आकर इसे देख सकते हैं वैसे मेला शब्द बाजार की एक ग्रामीण व्यवस्था से ही निकला है जहां पर स्थानीय स्तर पर चीजों की खरीद फरोख्त होती थी और अब बाजार ग्लोबल हो चुका है और तमाम बड़ी बड़ी एजेंसियां इसमें शामिल हो चुकी और उस बड़े बाजार में कौन कितना बड़ा हिस्सा हासिल करेगा अब इसका खेल चल रहा है क्योंकि ग्लोबल मार्केटिंग में प्रतिस्पर्धा एक बड़ी सच्चाई है जो बाजार को चलाएं मान रखने के लिए सबसे जरूरी चीज है तो इस बाजार पर आप भी अपना हुनर दिखाइए और हिस्सा हासिल करिए।    धारणाएं जो निरंतर बनती बिगड़ती रहेंगी और नए आयाम भी रचे जाते रहेंगे जो आज सही है जरूरी नहीं वो आगे भी सही ही रहेगा लेकिन यदि उसकी बाजार में प्रासंगिकता है अर्थात बिकाऊ है और अच्छा मुनाफा देने का माध्यम बना रहेगा तो वह चलता रहेगा और उसके चलाए रखने में इसी बाजार की भूमिका होती है सभ्यता और संस्कृति का जो प्रभाव है वह भी इसी वजह से काफी हद तक नियंत्रित होती है आज की आधुनिक व्यवस्था में अगर आप देखिए तो सब कुछ अमेरिकी मॉडल पर चल रहा है तो इसके पी