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To our Chief Minister

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आदरणीय,           मुख्यमंत्री जी, परीक्षाओं को घोटाला और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए कुछ सुझाव- 1- कोई भी परीक्षा एक चरण की नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ऐसे में एक ही बार सेटिंग करनी होती है। जैसे तमाम परीक्षाओं मे पहला चरण बहुविकल्पी प्रश्नों का और उसके उपरांत साक्षात्कार होता है ऐसे में यदि इस पहले चरण में  कैसे भी सेटिंग कर ली गयी तो साक्षात्कार की भूमिका कम हो जाती है और अगर उस परीक्षा में साक्षात्कार न हो तो फिर क्या कहने। सारा काम एक बार की सेटिंग में सम्पन्न।  2- ऐसे में किसी भी परीक्षा के न्यूनतम दो चरण होने ही चाहिए। इसको हम दरोगा, सिपाही, शिक्षकों या फिर अन्य तृतीय, चतुर्थ श्रेणी की भर्ती परीक्षाओं में देख सकते हैं। जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे है। इसको रोकने का आसान तरीका यही है कि पहले चरण को सिर्फ अर्हता परीक्षा माना जाय (एकदम IAS, PCS की प्रारम्भिक परीक्षा की तरह) क्यों कि दूसरे चरण में पहुँचने वाले अभ्यर्थियों की संख्या सीमित हो जाती है, ऐसे में दूसरे चरण की परीक्षा ज्यादा ईमानदार और निर्णायक हो जाएगी, जिसे संपन्न कराने में सहजता रहेगी। फिर दो बार पैसे का जुगाढ औ