Etiquette with netiquette


अब शिष्टाचार और नैतिकता का social network की वजह से, थोड़ा सा विस्तार करने की जरूरत है क्योंकि हंसी, मजाक और व्यंग्य जैसी चीजें, ज्यादातर लोगों की समझ में नही आती और जातीय, धार्मिक आधार पर, कई लोग जरूरत से ज्यादा भावुक और जागरूक होने लग जाते हैं। पूरी बात और संदर्भ को जाने बिना, गाली गलौज शुरू हो जाती है। आइए ऐसे ही कुछ समझदार नेटियों (who always available on line)  की चर्चा करते हैं-
       1- किसी भी पोस्ट को फटा फट like करने वाले, भले उनकी समझ में कुछ न आए और उनका उससे दूर दूर तक कोई वास्ता न हो और अगर पोस्ट किसी महिला की हुई तो उसमें comment जरूर करेंगे और बेचारे hot के अलावा कोई शब्द जानते ही नहीं। जबकि इन महापुरुष का यहाँ, कहीं से कोई वास्ता नहीं होता।
       2- इसके बाद C/P और share करने वाले होते हैं। वो उस फोटो, video की सच्चाई बिलकुल भी नहीं जानना चाहते कि किसका, कब का और कहाँ का है? फिर उस व्यक्ति की खासतौर पर महिला की अपनी निजता(privacy) होगी, जिसका आपको ध्यान रखना है। हो सकता कोई अपराध हुआ हो और आप उसे सार्वजनिक करके उस व्यक्ति के अपमान को प्रचारित कर रहे हैं। बस चेंप दिया जैसे इसको अभी-अभी ताजा खबर की तरह इन्होंने ही shoot किया हो और इसे दुनिया के लिए जानना कितना जरूरी है। जबकि पता चलता है वह दस साल पुराना कहीं का कुछ था, बस थोड़ी सी editing हुई है। अब एक-एक आदमी पचास-पचास लोगों को forward करेगा। सब एक जैसे बुद्धिमान ... । अगर आपके पास सच में ऐसा कुछ विश्वसनीय हो तो उसे सिर्फ सही लोगों तक पहुँचाए, न कि उसका मजाक बनाइए।
        3- अब आते हैं विशिष्ट लोग जो बड़े ही शिष्ट होते हैं। इनकी शुरूआत सुबह के सुप्रभात  (good morning) से होती है। जैसे इनकी रोज की जिम्मेदारी है कि आपको सुबह होने जैसी महत्वपूर्ण खबर बताएँ और इस काम को ए अपने जाति, धर्म और मान्यता के हिसाब से पूरे रंगा रंग रूप में प्रस्तुत करते हैं। जिसमें video और photo की हद होती है फिर दस लोगों को forward करने की चेतावनी भी। इनमें ज्यादातर नजदीकी लोग होते हैं, इनको जवाब देना ही पड़ता है। भइया माफ करना रोज इन messages की जरूरत नहीं है, कोई ढंग की बात होगी तो जरूर share किया जाएगा।
         4- पहलवान बुद्धि के लोगों का क्या कहना ए ठीक वैसे हो है जब सामने सड़क पूरी जाम हो और ए बीच में एकदम अनजान से लगातार हार्न मारते रहते हैं। इस वर्ग के लोग फोन का इस्तेमाल band  की तरह करते हैं और video, audio हमेशा full volume में होता है। अरे अक्ल के मंदो एक head phone नाम की चीज भी होती है। पर असली मजा तो लोगों को परेशान करने में है।
          ऐसे में network का सही इस्तेमाल करना हमें सीखना होगा क्योंकि इससे हमें खूद को व्यक्त करने की एक बहुत बड़ी ताकत मिली है। पर ए भी सच्चाई है कि हमारे समाज में वह परिपक्वता अभी तक नहीं आयी है। जैसा कि अपने को शिक्षित और सभ्य मानने वाले समाज में होनी चाहिए। ऐसे में अभिव्यक्ति की कुछ सीमाएँ हमें खुद ही तय करनी होंगी।
rajhansraju

🌹🌹❤️❤️🙏🙏🙏🌹🌹🌹

🌹❤️❤️🙏🙏🙏🌹🌹











*****************
my facebook page 
***************

***********
facebook profile 
************

***************





*********************************
my Youtube channels 
**************
👇👇👇



**************************
my Bloggs
***************
👇👇👇👇👇



****************************





**********************

**********
You are here 
on page no (60)
*********

Comments

अवलोकन

ब्राह्मणवाद -: Brahmnism

Swastika : स्वास्तिक

Ramcharitmanas

अहं ब्रह्मास्मि

Jagjeet Singh | श्रद्धांजली-गजल सम्राट को

New Goernment, new name | नई सरकार- नए नाम

वाद की राजनीति

Manusmriti

लोकतंत्र जिंदाबाद

कौन जीता? कौन हारा?