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voter- jindabad

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From Amar Ujala सबसे पहले हम चुनाव आयोग को ज़बरदस्त प्रबंधन और सरकारी तंत्र के शानदार इस्तेमाल के लिए बधाई देते हैं. जिसने आम लोगों में विश्वास का संचार किया की हम भी कुछ हैं,किसी से डरने की ज़रुरत नहीं है, मतदान की लाइन में सब एक बराबर हैं और सबको सामान अधिकार है . इस बार के विधानसभा चुनावों को हम भारतीय लोकतंत्र के लिए मील का पत्थर मन सकते हैं. जहाँ सभी राजनीतिक दल अपने मुद्दों और नीतियों के अभाव में हांफते नज़र आ रहें हैं. वहीं मतदाता बेफिक्री से मतदान कर रहा है.             अबकी चुनाव में मतदाता अपने आगे-पीछे खड़े व्यक्ति से यह नहीं जानना चाहता की वह किसे वोट दे रहा है और न ही अपने विचार किसी पर थोपने की कोशिश कर रहा है. यह हमारे लोकतंत्र के परिपक्व होने की निशानी है. जहाँ हम असहमति को भी जगह देने को तैयार हो रहे हैं.                                  आम आदमी आज भी अपने रोज़मर्रा की ज़रूरते मुश्किल से पूरी कर पा रहा है, इसके बाद भी वह मतदान प्रक्रिया में सर्वाधिक भागीदारी कर रहा है. जबकि शहरी और शिक्षित वर्ग जो व्यवस्था का सबसे ज्यादा रोना रोता है. घर से बहार निकलने को तैयार नही