poverty and corruption | गरीबी -भ्रष्टाचार


(The Hindu)
गोपनीयता और विशेषाधिकार की आड़ में हमारे नेता और अफसर भ्रष्टाचार को उद्योग बनाकर अपनी झोली भरते रहें हैं. योज़ना आयोग में बैठे तमाम अर्थशास्त्री गरीबी का अर्थशास्त्र समझने और समझाने में यह साबित कर देते हैं कि दिल्ली वालों को देश कि कोई समझ नहीं है और उनके तथ्य गरीब और गरीबी दोनों का मजाक उड़ाते हैं. वैसे अगर आम आदमी को संसद कि कैंटीन उपलब्ध करा दी जाय तो योज़ना आयोग के आंकड़े सही साबित हो जाएँगे.
(The Hindu)
अब सरकारों को अपनी ईमानदारी साबित करना कठिन होता जा रहा है जो पारदर्शिता कि कमी का ही परिणाम है. आज भ्रष्टाचार के छींटे गृह मंत्री पी. चिदम्बरम तक पहुचने लगे हैं. ऐसे में प्रधान मंत्री को अपनी बेदाग छवि बचाए रखना काफी मुश्किल होगा क्योकि  आज हम भ्रष्टाचार कि ऐसी काली कोठरी में रह रहें हैं, जहाँ से बेदाग निकलना लगभग नामुमकिन है. ऐसे में प्रधान मंत्री को सरकार कि परवाह किए बगैर स्पष्ट और कठोर सन्देश के साथ आगे आना होगा. वैसे इतिहास को जीने का मौका बार-बार नहीं मिलता और न ही इसके लिए पांच साल के कार्यकाल कि जरूरत होती है. सिर्फ एक अवसर ही बहुत होता है.
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