narrative war
आइए अपना विमर्श गढ़ें
आइए राष्ट्रीय विमर्श में भागीदार बनें और भारत का विमर्श मजबूत करें। हम एक हैं और भारतीयता ही हमारी पहचान है।
इसके लिए हमें अपनी जानकारी सही करनी होगी और भारत के खिलाफ जो left, western, narrative इतने सालों में बनाया गया है और जाने-अनजाने हमने कब उसे स्वीकार कर लिया हमें पता ही नहीं चला और अब हमें ही इसे counter करना है वह भी बिना किसी सरकारी मदद के। इससे लड़ने का सबसे अच्छा तरीका, हम सबका एकल प्रयास है कि हम अपने स्तर पर जो कर सकते वह करें और अपनी बात एकदम शांति से आगे बढ़ाएं और इसके लिए हमारे बहुत से लोग अथक प्रयास कर रहे हैं... Social media का फायदा हमें भी उठाना है और राष्ट्रीय विमर्श के लिये काम कर रहे लोगों को आगे बढ़ाना है। मतलब इनकी पहुंच बढ़ानी है...
इन Youtube channels को जरूर subscribe करिए इससे आपको कोई घाटा नहीं होने वाला है ए सब लोग भारत की बात करते हैं और भारतीय सभ्यता, संस्कृति और पहचान पर जोर देते हैं और उसी के पक्ष में विचारधारा का निर्माण करने का काम करते हैं और भारत की विचारधारा का अर्थ मूलतः हिंदू विचारधारा ही होता है। यहां समस्या यह है कि हिंदू अपने comfort से अब भी बाहर निकलने को तैयार नहीं है, कुछ नहीं कर सकते तो जो यह मोबाइल जो हमारे हाथ में है उससे अपने ecosystem को मजबूत करने के लिए support करिए क्योंकि संख्या बल का साथ होना बहुत जरूरी है।
इस बात पर गौर करिए कि जो मोदी से नफ़रत करने वाले चैनल हैं उनको एक बड़े जातीय, धार्मिक समूह का खुला समर्थन क्यों और कैसे मिलने के कारण उनको करोड़ों में सब कुछ कैसे मिलता रहता है और उनकी ग़लत बातें भी सही जैसी लगने लग जाती हैं क्योंकि उसको लगातार उस समूह का बिना सोचे समझे समर्थन मिलता है और उनका ecosystem किसी भी narrative को अपने हिसाब से चला लेता है वहीं हम लोगों को ऐसा महसूस होता है कि हमारी वजह से इसको कहीं फायदा न हो जाए और इसी चक्कर उसे like subscribe तक नहीं करते। जबकि ढंग से कोई चैनल चलाना कोई आसान काम नहीं होता और बिना पैसे के यह हो भी नहीं सकता और भारत विरोधी चैनलों को अंदर बाहर हर जगह से अच्छा खासा पैसा मिलता रहता है। सोचने कि बात है कि अपने देश और सरकार के खिलाफ हर वक्त कोई क्यों इतना लगा हुआ है ।
फिलहाल इस बात को समझने कि आवश्यकता है और हमें अपने ecosystem को मजबूत करना होगा। यह काम सरकार नहीं कर सकती क्योंकि सरकार कि अपनी सीमाएं हैं और हम आजाद हैं बस अपनी बात आगे बढ़ानी है
तो इसकी शुरूआत अपने फोन से ही करना है बिना किसी लड़ाई, झगड़ा किए एकदम विनम्रता के साथ अपनी बात रखनी है और अपने लोगों को बोलिए इन चैनलों को promote करें और धैर्य के साथ इन्हें भी सुनिए और अपने लोगों को मजबूत बनाइए क्योंकि narrative की लड़ाई इसी digital platform पर हो रही जो धीरे-धीरे अपना असर बनाती है ....
आप भी ऐसे ही अन्य चैनल्स जैसे जैसे मिलते जाएं उनको भी इस सूची में शामिल करते जाइए और उन्हें आगे बढ़ाइए
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
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यह मोदी सरकार लगातार भारतीय मुसलमानों का हक छीन रही है पहले CAA और अब वक्फ संशोधन एक्ट बना रही है सोचिए भारतीय मुसलमान बेचारा कितना सीधा-साधा है उसे मौलाना और मदरसा से ज्यादा भला क्या चाहिए सरकार है कि जबरदस्ती कह रही है कि सभी गरीब मुसलमान पढ़ लिखकर बाकियों की तरह ही हो जाएं और उसका पंचर बनाने का धंधा उससे छिन जाए, सोचिए अब इससे उसके मौलिक अधिकार छिनेंगे की नहीं, शिक्षित होते ही वह मौलाना, मदरसा और उसके वोट के जो ठेकेदार हैं उनकी रोजी-रोटी भी छीन लेगा और इतने सारे लोग फिर से बेरोजगार हो जाएंगे और दंगा, आतंक, पत्थरबाजी का धंधा करने वाले लोगों का क्या होगा अच्छी खासी रोजी-रोटी खत्म हो जाएगी, ऐसे में भाजपा का भरपूर विरोध होना ही चाहिए क्योंकि जमीन की लूट से माफिया बने कुछ लोग और घरानों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ रही है आइए इसके लिए हम लोग मिलकर मोदी-शाह का विरोध करते हैं सोचिए CAA का खूब विरोध हुआ शाहीन बाग याद है ना, लागू भी हो गया, भाई अब तक कितने भारतीय मुसलमानों की नागरिकता गई उन लोगों को सामने लाना चाहिए, जो लोग एनआरसी, सीएए में क्रोनोलॉजी देख रहे थे कि मुसलमान की नागरिकता कैसे छीनी जाएगी यह बताने की कोशिश कर रहे थे उनसे फिर पूछा जाना चाहिए कि यह नागरिकता छीनने का जो खेल होना था वह क्यों नहीं हो रहा है।
इससे पहले सांसद ने जो वक्फ कानून बनाए थे वह भी तो राजनीति की वजह से ही हुआ था फिर हो रहा है तो दिक्कत क्या है अगर पहले की सरकारों के वाहियात निर्णय अच्छे लग रहे थे तो अब की सरकार का सही निर्णय स्वीकार करने में तकलीफ किस बात की है बाकी थोड़ा इंतजार करिए दूसरी सरकार आएगी तो वह अपने हिसाब से कुछ और कर देगी और आपके मनमाफिक चुनी हुई सरकार होगी तो उसे फिर बदल लीजिएगा, लोकतंत्र का तो यही मतलब है न चुने हुए लोग संसद में आते हैं और अपने हिसाब से अपने मतदाता समूह के लिए कानून बना लेते हैं और उसमें तुष्टिकरण का भी अपना योगदान होता ही है।
वैसे गहरे में देखा जाए तो हम सेकुलर सिविल कोड की तरफ बढ़ रहे हैं और हमारी बिगड़ी आदतों को उससे पहले दुरुस्त करने की आवश्यकता है जहां तक हिंदुओं की बात है तो इस तरह के ज्यादातर सुधार उनके साथ काफी पहले हो चुके हैं जो भारतीय संविधान और विधि से नियंत्रित होते हैं ना कि किसी हिंदू धर्म ग्रंथ से और हिंदू समाज अपने धार्मिक मान्यताओं को लेकर उतना सख्त नहीं है कुछ प्रतिक्रिया, जो कभी-कभी देखने को मिलते हैं उन्हें किसी तरह का व्यापक जन समर्थन नहीं मिलता और वायरल खबर से ज्यादा उनका महत्व नहीं होता है भाजपा कीअपनी बात समझने और सत्ता में आने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा यदि हिंदू भी इसी तरह की मानसिकता या प्रवृत्ति रखते होते तो क्या भाजपा के अलावा पूरे देश में कोई और सरकार में हो सकती था।
अभी जो हिंदू एकता जागरूकता या फिर जागरण देख रहे हैं उसका कारण अन्य लोगों की आक्रामकता के कारण है जहां उसे यहां बोध हुआ है कि उसकी सुरक्षा और अस्तित्व ऐसा बना रहने पर खतरे में पड़ जाएगा और उसकी पहचान से जुड़ी चीज कैसे धीरे-धीरे एक व्यवस्थित तरीके से खत्म की जा रही है और यह काम लगातार सदियों से हो रहा है। चाहे वह इस्लामी आक्रांत रहे हो या फिर क्रिश्चियन और आजादी के बाद हमने हिंदू मुसलमान के आधार पर जिस बंटवारे को स्वीकार किया और देश का एक बड़ा हिस्सा मुसलमानों को देश बनाने के लिए दे दिया या यूँ कहें एक बड़े भूभाग को हम मुसलमानों के लिए छोड़ चुके हैं तो इसका कारण क्या था हमारा मौन, हमारी स्वीकृत या फिर अपनी अखंड भारतीय अस्मिता को बनाए रखने की हमारी असमर्थता, इस बात को हमें स्वीकार करना होगा कि हम खंडित हैं।
ठीक है एक देश के तौर पर हमने कई देशों का निर्माण स्वीकार कर लिया है पर सभ्यता और संस्कृति के स्तर पर अखंड भारत का बोध अगर हमारे मन मस्तिष्क में बना रहे तो हर्ज क्या है क्योंकि सभ्यता और संस्कृति में समय के साथ बदलाव होते रहते हैं और सब कुछ एक जैसा कहां रहता है लेकिन हम क्या थे और क्यों ऐसे हो गए इसे भी हमें आने वाली पीढ़ियां को बताते रहना होगा और खुद के अतीत को भूलकर किसी सुनहरे भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते और यह तभी संभव है जब वर्तमान सुरक्षित हो।
इसके लिए इतिहास बोध की जो कहानी है, कथाएं हैं इसे ऐसे भी अगर मान लिया जाए तो एक राष्ट्र के रूप में हम कैसे बने रहेंगे और पहाले से कितना मजबूत हम हो सकते हैं उसके लिए हमें अपनी कहानी कहते रहनया चाहिए और उसे हमें अपनी भाषा, अपने शब्द, अपने संस्कारों के साथ करना ही होगा और उसमें रंच मात्र समझौता नहीं होना चाहिए क्योंकि राष्ट्र निर्माण एक सतत अंतहीन प्रक्रिया है जिसकी निरन्तरता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है
वक्फ कानून के नए स्वरूप को मुख्य रूप से मैं इस तरह समझ पा रहा हूँ ----
1 - ASI द्वारा संरक्षित इमारतों पर अब वक्फ का दावा हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगा ---बिना किसी किन्तु -परन्तु के --- यह बेहद अहम् बिंदु है ---
2 - वक्फ की वे सम्पत्तियां जो राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है , जांच के अधीन आएँगी और उनमें से जो गड़बड़ पाई जाएंगी उन पर से वक्फ का दावा ख़ारिज हो सकता है --यानी वे सम्पत्तियाँ मुक्त हो सकती हैं ---
3 -आदिवासी बहुल इलाकों में अब वक्फ नहीं हो सकेगा --यानी अब देश के पूर्वोत्तर ,ओडिशा ,झारखण्ड और छत्तीसगढ़ जैसे हिस्से में वक्फ के लिए नो इंट्री होगी
4 --अब वक्फ वाई यूज़र नहीं हो सकेगा --- अब वक्फ केवल दान से ही हो सकेगा और दानदाता को भी दान की जा रही संपत्ति पर अपना स्वामित्व प्रमाणित करना होगा --यानी अब कोई गुमनाम अब्दुल समद पूरा संभल शहर वक्फ नहीं कर सकेगा ---
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यह बहुत जरूरी है
ReplyDeleteSocial media का फायदा हमें भी उठाना है और राष्ट्रीय विमर्श के लिये काम कर रहे लोगों को आगे बढ़ाना है। मतलब इनकी पहुंच बढ़ानी है...
ReplyDeleteभारत की बात दुनिया तक ले जाने के लिए यह बहुत जरूरी है
ReplyDeleteआओ भारत की बात बताएं
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