तुम हार नहीं सकते
दोस्त तुम हार नहीं सकते वह भी चंद वाहियात लोगों की बेवकूफी भरी बातों से तो बिलकुल भी नहीं। हमारे समाज में जो विष बेलें फैली है वह तुरंत ख़त्म हो जाएगी यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए, वह भी ऐसे हालात में जब सारी चीज़ें सिर्फ नफा-नुकसान के तराजू पर तौ ली जा रही हो और अधिकतर लोग बेचने-बिकने को तैयार बैठे हो। ऐसे में सच होना और उसके साथ खड़ा होना दोनों ही कठिन काम होगा , सोचिए हमारे जातीय धार्मिक पहचान के कारण कुछ लोग अगर सवाल उठाते हैं वह भी अपनी कमअक्ली के कारण तो ऐसे लोगों के साथ हमें पूरी सहानभूति होनी चाहिए कि अ भी इलाज़ की, काफी जरूरत है। अगर हम कुछ लोगो की बातों से ही इतने आहत हो जाते हैं और अपने सच्चे होने के एहसास से भी पीछे हटाने को तैयार हो गए तो उन बेसहारा लोगों की आवाज़ कौन बनेगा जो सिर्फ सहते है और जिन्हें ताकतवर लोग हमेशा कुचलते रहते हैं, चाहे वह गुजरात, मुज़फ्फरनगर या फिर कोई और जगह हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सोचने-समझने की बात यह है कि ऐसे अविश्वास और तिरस्कार के...