we the Indian
हमारे लोग जितनी ऊर्जा दूसरे जाति, धर्म और राजनीतिक दल के लोगों को गलत साबित करने में लगाते हैं। उसका थोड़ा सा हिस्सा यदि अपने कथित समाज के लोगों के बीच सिर्फ शिक्षा प्राप्त करने की प्रेरणा देने में लगा दें तो सारा मंजर बदल जाएगा। पर इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि पीछे जात, धर्म.. का झंडा लेकर चलने वाले नहीं मिलेंगे। तो समझदारी इसी में है कि ज्यादा से ज्यादा लोग जाहिल रहें। जो जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगाएं और अपने कथित नेता की बात को अंतिम सत्य की तरह स्वीकार करें। तो बोलिए जातिवाद... सम्प्रदायवाद...... बाकी अपनी जात.. धर्म.. जैसी सुविधा हो जोड़ लीजिए। आजादी के सही मायने यही है कि हम कोई जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे.... जबकि अधिकार सभी चाहिए... जैसे चोरी करने, भ्रष्टाचार का, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने का, गंदगी करने का, कहीं भी जाम लगाने, धक्का मुक्की करना का। ए सब हमारा राष्ट्रीय चरित्र, जैसा बन गया है। अभी आगे भी है, इसके बाद भी गर्व क...