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Showing posts from August, 2018

we the Indian

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हम लोग          हमारे लोग जितनी ऊर्जा दूसरे जाति, धर्म और राजनीतिक दल के लोगों को गलत साबित करने में लगाते हैं। उसका थोड़ा सा हिस्सा यदि अपने कथित समाज के लोगों के बीच सिर्फ शिक्षा प्राप्त करने की प्रेरणा देने में लगा दें तो सारा मंजर बदल जाएगा।         पर इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि पीछे जात, धर्म.. का झंडा लेकर चलने वाले नहीं मिलेंगे। तो समझदारी इसी में है कि ज्यादा से ज्यादा लोग जाहिल रहें। जो जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगाएं और अपने कथित नेता की बात को अंतिम सत्य की तरह स्वीकार करें। तो बोलिए जातिवाद... सम्प्रदायवाद...... बाकी अपनी जात.. धर्म.. जैसी सुविधा हो जोड़ लीजिए।         आजादी के सही मायने यही है कि हम कोई जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे.... जबकि अधिकार सभी चाहिए... जैसे चोरी करने, भ्रष्टाचार का, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने का, गंदगी करने का, कहीं भी जाम लगाने, धक्का मुक्की करना का। ए सब हमारा राष्ट्रीय चरित्र, जैसा बन गया है।       अभी आगे भी है, इसके बाद भी गर्व करि...

Har Har Mahadev

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हर हर महादेव  शिवलिंग को गुप्तांग की संज्ञा कैसे दी और अब हम  हिन्दू खुद शिवलिंग को शिव् भगवान का गुप्तांग समझने लगे हे और दूसरे हिन्दुओ को भी ये गलत जानकारी देने लगे हे। प्रकृति से शिवलिंग का क्या संबंध है ..? जाने शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है और कैसे इसका गलत अर्थ निकालकर हिन्दुओं को भ्रमित किया...?? कुछ लोग शिवलिंग की पूजा की आलोचना करते हैं..। छोटे छोटे बच्चों को बताते हैं कि हिन्दू लोग लिंग और योनी की पूजा करते हैं । मूर्खों को संस्कृत का ज्ञान नहीं होता है..और अपने छोटे'छोटे बच्चों को हिन्दुओं के प्रति नफ़रत पैदा करके उनको आतंकी बना देते हैं।संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है । इसे देववाणी भी कहा जाता है। *लिंग* लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह, प्रतीक होता है… जबकी जनर्नेद्रीय को संस्कृत मे शिशिन कहा जाता है। *शिवलिंग* >शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक…. >पुरुषलिंग का अर्थ हुआ पुरुष का प्रतीक इसी प्रकार स्त्रीलिंग का अर्थ हुआ स्त्री का प्रतीक और नपुंसकलिंग का अर्थ हुआ नपुंसक का प्रतीक। अब यदि जो लोग पुरुष लिंग को मनुष्य की जनेन्द्र...