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Happy Diwali

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शुभ दीपावली   " स्वामी अवधेशानन्द गिरि" अयोध्या नगरी में करीब 500 वर्षों के बाद आज हमारे रामलला अपने पूर्ण स्वरूप में भव्य मंदिर में विराजमान होकर भारतवर्ष को आलोकित कर रहे हैं। अधरों पर मंद मुस्कान लिए जब रामलला अपने नए घर में दिवाली मना रहे हैं, तब यह नि:संदेह सभी भारतवासियों को गर्व की अनुभूति करने वाला पल है आप हर एक भारतवासी की 500 साल की पीड़ा उनके दुख उनके संघर्षों को समझ सकते हैं कि अपने ही देश में अपने ही भक्तों के बीच रामलला बेघर थे और टेंट में रहने को विवश थे 500 साल के संघर्ष, असहनीय दर्द और करोड़ों भक्तों के मौन आंसुओं को संबल तब मिला जब प्रभु श्री राम की महती कृपा से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने वह क्षण जब प्रधानमंत्री ने कहा "हमारे राम आ गए हैं" तो यह शब्दों में जीवन के उन सभी संघर्षों को का मर्म था जो हर एक राम भक्त ने इस क्षण के लिए उठाए थे । रामलला ने हम सभी को अपने जीवन चरित्र से स्पर्श किया है हमें संस्कारित किया है और हमें जीवन की मर्यादा का पालन करना सिखाया है मर्यादा की इस प्रतिमूर्ति, जिनके पैरों के स्पर्श ने अहिल्या माता को पत्थर से सजीव

TATA

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 रतन टाटा जी को श्रद्धांजली  आने जाने का अंतहीन सिलसिला कुछ भी किसी के बगैर रुकता नहीं है सब जैसे था वैसे ही चलता रहता है अगर कोई यह सोचता है कि उसके बगैर दुनिया ठहर जाएगी तो उसे मालूम होना चाहिए कि उसके बगैर भी दुनिया चल रही थी और आगे भी ऐसे ही चलती रहेगी हो सकता है और बेहतर होगी या और बदतर होगी यह भला किसे मालूम है कि कब क्या कहां कैसे होगा बस हमको कोशिश करते रहना हैं और चीजें जैसे होनी चाहिए वैसी ही होती रहें, यह और है कि हमें लगता है कि वह ठीक नहीं है पर यह हमारी अपनी व्यक्तिगत धारणा है कि हम चाहते हैं कि कोई चीज कैसी रहे मेरे अनुकूल रहे मैं जैसा चाहता हूं वैसा रहे पर यह मुमकिन नहीं है उसका होना अपने आप में एक स्वतंत्र तरीके से होना है जिस पर हमारा नियंत्रण नहीं हो सकता है बस इस बात को जो लोग स्वीकार कर लेते हैं वह बहुत आगे निकल जाते हैं उन्हीं में से रतन टाटा, ऐसे ही शख्स थे जिन्हें उनके रहते और जाने के बाद भी उतने ही सम्मान से याद किया जाता है और किया जाता रहेगा क्योंकि जो लोग अपनी जिंदगी सिर्फ अपने लिए नहीं जीते वह कहीं आगे निकल जाते हैं कालजयी हो जाते हैं अमर हो जाते हैं और इति