anna to baba ramdev
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जिस शालीन और सभ्य तरीके से शुरू हुई थी. वह मीडिया से पाए जाने वाले आसान कवरेज और महान घोषित होने कि संभावना के कारण, अपने उद्देश्य से भटकती दिख रही है . जिसका कारण हमारे नेतागण हैं. जो अपनी कुशाग्र बुद्धि का इस्तेमाल हर छोटे-बड़े काम को रोकने के लिए करते हैं और इस समय अन्ना के मुहिम कि हवा निकालना ही इनका मकसद है. बाबा रामदेव कि हर समय मीडिया में बने रहने कि इच्छा ने नेताओं का काम आसान कर दिया है. बाबा जो कह रह वह सब सही है. पर हमें यह समझ नहीं आता कि वह सारे काम खुद ही क्यों करना चाहते हैं, जबकी बाकी लोग काफी अच्छा प्रयास कर रहें हैं. ऐसे में उन लोगों को पर्याप्त मौका और समय दिया जाना चाहिए और उनकी सराहना भी की जानी चाहिए. अब तो ऐसा लगता है की हमारे साधू- संत भी ईर्ष्या के शिकार हो रहे हैं और बाबा भी अपने चूक जाने की गलती (अन्ना की तुलना में) तत्काल सुधारना चाहते हैं . श्रेय लेने और प्रसिद्धि पाने की हर वक़्त की लालसा, ऐसे आन्दोलनों को कमज़ोर बनाती है. अपने देश में कुछ हज़ार लोगों को इकट्ठा कर...