i am anna

अन्ना हजारे कोई भी आन्दोलन जब शुरू होता है. उस पर ढेर सारे सवाल उठाए जाते हैं और एक बड़े जन सैलाब की भागीदारी के बावजूद सरकारी नुमाइंदे और कुछ अति बुद्धिजीवी जो इस समय भी अपनी खलिश राजनीति कर हैं. खुल के समर्थन में आने के बजाय, अपने को अधिक जानकार साबित करने में लगे हैं. यह सच है की जनलोकपाल भ्रष्टाचार से लड़ने की आखरी और अमोघ अश्त्र नहीं है फिर भी लड़ाई की शुरुआत तो है ही और किसी भी लड़ाई की शुरुआत में आशंका और निराशा का होना भी कोई गलत बात नहीं है क्योंकि आन्दोलन के शुरुआत में इस तरह की चीज़ें होती हैं जो धीरे-धीरे उसके जोर पकड़ने पर बहुत से लोग और चीज़ें अपने आप जुड़ती चली आती हैं जिसे हमने कभी सोचा नहीं होता, वह भी हासिल हो जाता है. बस इस जज्बे को बनाए रखना है, जो काफी कठिन काम है. बहुत सालों बाद हम तिरंगे के नीचे अपनी जाति, धर्म और बाकी चीज़ें भूलकर इकट्ठे हुए है. यह देखना और महसूस करना ही बहुत बड़ी उपलब्धि है. हमने अपने एक होने की लाजवाब मिशाल कायम की है. अब हमें और अधिक अनुशाषित और संयमित दिखना होगा क्योकि पूरी दुनिया हमें देख रही है. साथ ही हमें गाँ...