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Showing posts from September, 2011

poverty and corruption

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गरीबी -भ्रष्टाचार (The Hindu) गोपनीयता और विशेषाधिकार की आड़ में हमारे नेता और अफसर भ्रष्टाचार को उद्योग बनाकर अपनी झोली भरते रहें हैं. योज़ना आयोग में बैठे तमाम अर्थशास्त्री गरीबी का अर्थशास्त्र समझने और समझाने में यह साबित कर देते हैं कि दिल्ली वालों को देश कि कोई समझ नहीं है और उनके तथ्य गरीब और गरीबी दोनों का मजाक उड़ाते हैं. वैसे अगर आम आदमी को संसद कि कैंटीन उपलब्ध करा दी जाय तो योज़ना आयोग के आंकड़े सही साबित हो जाएँगे. (The Hindu) अब सरकारों को अपनी ईमानदारी साबित करना कठिन होता जा रहा है जो पारदर्शिता कि कमी का ही परिणाम है. आज भ्रष्टाचार के छींटे गृह मंत्री पी. चिदम्बरम तक पहुचने लगे हैं. ऐसे में प्रधान मंत्री को अपनी बेदाग छवि बचाए रखना काफी मुश्किल होगा क्योकि  आज हम भ्रष्टाचार कि ऐसी काली कोठरी में रह रहें हैं, जहाँ से बेदाग निकलना लगभग नामुमकिन है. ऐसे में प्रधान मंत्री को सरकार कि परवाह किए बगैर स्पष्ट और कठोर सन्देश के साथ आगे आना होगा. वैसे इतिहास को जीने का मौका बार-बार नहीं मिलता और न ही इसके लिए पांच साल के कार्यकाल कि जरूरत होती है. सिर्फ...

traffic sense

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जाम  अब तो कहीं भी जाम लाग जाता है और आम आदमी कि शिकायतें भी अपनी जगह सही हैं कि सड़के जगह-जगह खुदी हैं, कम चौड़ी हैं, ट्रैफिक पुलिस कि व्यवस्था नहीं है, जहाँ-तहाँ जलभराव है. वहां कितना बड़ा गड्ढा होगा इसका अंदाज़ा भी नहीं लाग पाता और इस वज़ह से जाम लाग जाता है. अब दूसरा दृश्य भी है जहाँ सड़क ठीक ठाक है और चौड़ी भी है और पुलिस वाला भी मौजूद है. इसके बावजूद जाम लगा हुआ है. पाता चलता है कि सामने एक नेताजी  कि बड़ी सी गाड़ी माला फूल से सजी सारे नियमों कि खिल्ली उड़ाते खड़ी है और पुलिस वाला भी अन्दर ही अन्दर गरियाते हुए नेताजी की जल्दी से निकल जाने में मदद कर रहा है. उनके जाते ही कुछ परम आधुनिकता का रूप धारण किए बाईक सवार आ टपकते है. उनको देखकर यह पता ही नहीं चलता कि ए किस साईड से चल रहें हैं. खैर हिम्मत करके एक पुलिस वाले ने रोक लिया तो लगा, उससे बहुत बड़ा गुनाह हो गया, उन लड़कों ने उसे तुरंत बाप के परिचय से धमकाया, पुलिसवाले कि सिट्टी पिट्टी गम हो गयी.  अब पुलिसवाला चुपचाप मुंह लटकाए  खड़ा था. तभी एक बेचारा सा आदमी स्कूटर से धीरे-धीरे चला आ रहा था, उसने हेलमे...