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Showing posts from August, 2012

shame

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शर्म              एक बार फिर हम पूरी दुनिया के सामने अपना मजाक बनाने में लग गए हैं.जहाँ जाति और मज़हब को लेकर हमें कोई भी भड़का सकता है और लोग मज़े के लिए तोड़ फोड़ में शामिल हो जा रहे हैं, बिना सही गलत जाने और यह वोट की राजनीति हमारे पूरे तंत्र को निकम्मा बना देती है. आखिर कब हम एक देश की तरह व्यवहार करना शुरू करेंगे, जहाँ एक ही मज़हब, एक ही पहचान हो, वह भारतीयता की हो, हम एक हैं, हम भारतीय हैं, हम एक दूसरे की सुरक्षा का करण बने न कि खतरा.. हमारी नयी पीढ़ी जो हर वक़्त नेट पर लगी रहती है, वह महज़ मनोरंजन कि तलाश करती रहती है और अनजाने में ही अफवाहों को तूल देने का काम कर जाती हैं. जबकि नेट पर जानने समझने के लिए ढेरों सामग्री होती है जिसे देखने पढ़ने कि फुर्सत किसी को नहीं होती, अरे भईया कुछ शेयर, लाइक करने से पहले उसके पीछे के मकसद को भी तो समझने कि कोशिश कर लो और आज बड़ी आसानी से पढ़े लिखे लोगों को भी कुछ शातिर लोग शिकार बना लेते  हैं और हर जगह मज़ा लेने के लिए, बेकार, बेरोजगार लोगों कि फ़ौज तो मौजूद ही है. जो कभी कुछ समझने कि को...

Raksha Bandhan

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रक्षा बंधन बहनों द्वारा भाई की कलाई में बांधे जाने वाला एक मामुली धागा जो उनके उनके प्यार और उम्मीद का प्रतीक है कि मै तुम्हारे रहते सुरक्षित हूँ , फ़िक्र की कोई बात नहीं है मेरा भाई मेरे साथ है, भाई भी बहन के लिए दुनिया से लड़ने को तैयार है. अब चलिए इस अर्थ को थोडा और आगे बढ़ाते हैं, आज जिस तरीके से दुनिया बदल गयी है या फिर बदल रही है. वहां लड़कियों को कमज़ोर मानना उनका अपमान करना होगा, यह सच्चाई भी है की लड़कियां क़ाबलियत में लड़कों से किसी मामले में कम नहीं हैं, फिर भी  हम हर वक़्त अपनी लड़कियों को अतिरिक्त सुरक्षा देने में लगे रहते है, इसका परिणाम यह होता है की उनके अन्दर एक अनजाना डर बैठने लगता है और यह डर उनका आत्मविश्वाश धीरे-धीरे  कम करता जाता है, इसी वज़ह से घर के बाहर डरी सहमी बच्चियों को हम देखते हैं, जो खुद की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं होती, यह आत्म विश्वाश की कमी ही लड़कियों के खिलाफ होने वाली ज्यादती का सबसे बड़ा कारण है.  हमारा पुरुष प्रधान समाज अब भी अपनी बीमार मानसिकता से बाहर  नहीं निकल पाया है और पाबंदियों के नए नियम, रोज़ गढ़ने में लगा है....