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Showing posts from 2019

Gandhi 2.0

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नव गांधीवादी  हमारी सरकारों ने नयी पीढ़ी को बापू का दर्शन समझने के लिए ... लगभग मजबूर कर दिया और अब गांधी 2.0 नये version में आ चुके हैं । जिसकी जरूरत न केवल हमारे देश को बल्कि पूरी दुनिया को है क्योंकि ताकतवर सरकारों से सिर्फ गांधी लड़ सकते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि हिंसा का प्रतिकार बहुत आसानी से हिंसा से हो सकता है, ऐसा ही आमतौर पर होता है और यह एक अंतहीन श्रृंखला को जन्म देती है। इस प्रक्रिया में हमेशा जो ज्यादा हिंसक होता है, तराजू का पलड़ा उसी की तरफ झुक जाता है। इसे हम इतिहास के किसी भी कालखण्ड में देख सकते हैं, यह पूरी तरह रक्त रंजित है, जिसमें सत्ता और शक्ति रूपी दानव मनुष्यता का हर पल ग्रास कर रहा होता है। यह दानव किसी एक कालखण्ड तक सीमित नहीं है, इसमें निरंतरता है और इससे जो संघर्ष है वह चंद दिनों की महज खानापूर्ति कर लेने से नहीं हो सकती क्योंकि यह संघर्ष स्वयं से और अपने लोगों से है। ऐसे में यह लड़ाई बहुत कठिन हो जाती है क्योंकि इसका "मूल" विचार और चिंतन में छुपा हुआ है कि आखिर हम क्या, क्यों और कौन हैं? इस बात की तलाश करना और खुद को क्या और कैसा ब...

We the people of India

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हम भारत के लोग  #WeThePeopleOfIndia हमारे कम अक्ल, कम पढ़े लिखे, सीधी-सादे लोग कितनी सहजता से. सत्ता, शक्ति, घमंड और अहंकार से भरे लोगों को उनकी वास्तविक स्थिति का ज्ञान करा देते हैं। इसे हम किसी भी चुनाव परिणाम को देखकर समझ सकते हैं। वहीं अपने को पढ़ा लिखा और  स्वघोषित समाज का अगुआ मानने वाले लोग न जाने, रोज कौन-कौन सी वाहियात बात करते रहते हैं, जबकि हकीकत में ए लोग, अपने व्यक्तिगत हित के लिये कोई एजेंडा सेट कर रहे होते हैं।       खासतौर पर संविधान के लिए परेशान मत होइए। अपने लोगों और संविधान की ताकत पर भरोसा रखिये। जिनसे हम असहमत हैं वो भी इसी संविधानिक तरीके से चुनकर आए हुए लोग हैं और फिर दूसरे लोग चुने जाएंगे। कोई भी स्थाई रूप से न तो अजेय है और न ही पराजेय है। बस हमारा एक वोट...      लोगों के मौन रहने पर ज्यादातर बौद्धिकों को लगता है कि उन्होंने लोगों को समझा लिया है और लोग उन्हीं के अनुसार समर्थन या विरोध कर रहे हैं। भाई अगर आप ऐसा मानते हैं तो यकीन मानिए आप एकदम गलत हैं क्योंकि जो आप अपने सामने थोड़ी सी भीड़ देखकर खुश हो रहे ...

CAA

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नागरिकता संसोधन अधिनियम/बिल नागरिकता संशोधन  अधिनियम- ई #CAA /#CAB पर जो हल्ला मच रहा उसके पीछे मूलकारण अल्पसंख्यक शब्द है क्योंकि हमारे यहाँ जैसे ही ए शब्द आता है लोग तुरंत समझ जाते हैं कि इसका मतलब मुसलमान ही होता है। जबकि सरकार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों यानी हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसियों कि बात कर रही है, जिनका उनके धर्म के कारण उत्पीड़न हुआ है और इनमें से जो लोग ३१ दिसम्बर २०१४ तक शरणार्थी के रूप में यहाँ आए हैं न कि घुसपैठिए बनकर, उन्हीं को नागरिकता दी जाएगी। मतलब इस बिल का भारत के नागरिकों से कुछ भी लेना देना नहीं है क्योंकि यहाँ किसी की नागरिकता छीनी नहीं जा रही है। साथ ही नागरिकता प्राप्त करने के दूसरे तरीकों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अदनान सामी की तरह कोई भी नागरिकता के लिये आवेदन करके (शर्तों को पूरा करने के पश्चात) नागरिकता प्राप्त कर सकता है।   पूरे प्रकरण में हर जगह अल्पसंख्यक-अल्पसंख्यक का बार-बार जिक्र होने से खुद को अल्पसंख्यक, पीड़ित और बेचारा का विशेषाधिकार रखने वाले लोगों को बड़ी आसानी से, कोई भी उनको खतरा ह...