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Showing posts from February, 2019

गांधी मरते नहीं हैं

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बेफिक्र रहिए गांधी मरा नहीं करते, क्योंकि वो व्यक्ति नहीं विचार हैं।   आजकल बापू के पुतले पर खिलौने से गोली मारने, लाल रंग बहने और उसके बाद पुतले को जलाने का video तमाम बुद्धिजीवी लोग अपने wall पर post कर देश की चिंता कर रहे हैं। यकीन मानिए मुझे पूरा video देखकर हंसी आ रही थी इसमें जितने भी लोग हैं वो अपने से और ढंग से कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं और शरीर और दिमाग दोनों से उतने स्वस्थ भी नहीं दिख रहे हैं, साथ ही वो अपने कृत्य से खुद ही सहमत नहीं दिख रहे हैं और जब जितना कहा जा रहा है उतना ही कर रहे हैं।       मगर इसका जो छुटभैया director है उसका काम देश की फिक्र करने वाले लोग जरूर कर रहे हैं। मतलब आप किसी भी ऐरे गैरे को celebrity बना रहे हैं। Please ऐसे लोगों की मुफ्त में publicity का काम अनजाने में मत करिए। सचमुच यदि आपको किसी की फिक्र social network पर ही करनी है तो बस ऐसी वाहियात चीजों को delete करिए। (Please don't like, comment or share such materials..  Just delete them) 🌹❤️❤️❤️🙏🙏🙏🌹❤️ 🌹❤️❤️🙏🙏🙏🌹🌹 ************* ********** ****** *******...

Jhunjhuna

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हम सभी भारतीयों को सब कुछ मुफ्त चाहिए।   व्यापारी किसी भी तरह का कर नहीं देना चाहता। किसानों को खाद,  बिजली, पानी बिलकुल मुफ्त चाहिए, साथ ही जो भी, जैसी फसल पैदा कर दे, उसका अधिक  से अधिक समर्थन मूल्य होना चाहिए, वो भी तत्काल क्योंकि ए सबसे बेचारा है।    सरकारी कर्मचारी को हर समय वेतन वृद्धि और भरपूर छुट्टी चाहिए, साथ ही काम न करने और भ्रष्ट रहने के भरपूर मौके।     आम आदमी को एक झंडा और झुनझुना चाहिए जो उसकी पसंद का हो, जिसे लेकर चलते-चलते, जब थक जाए तो मनोरंजन के लिए कुछ तो करना होगा, तब मजे से झुनझुना बजाने लगे।   यही सोच सबका काम आसान कर देती है क्योंकि अब काम करने की जरूरत ही नहीं रह जाती, जो जहाँ है अपना हिस्सा तय करने में लग जाता है। यही हमारे राजनीति का सर्वकालिक चेहरा है कि जब आम जन को अपने जीवन में कोई सकारात्मक बदलाव के लिए कुछ चाहिए ही नहीं तो बेकार कि कोशिश क्यों की जाये। यहाँ तो सारा काम झुनझुने से ही हो जाता है। तो झुनझुना जिंदाबाद, अब वो कौन दे रहा है इससे क्या फर्क पड़ता है..       एक और मुफ्त-मु...