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Happy New Year | फिर नया वर्ष?

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लोकपाल पर संसद में ज़ोरदार, हंगामेदार या हम कहें मनोरंजक बहस हुई. जिसमे विपक्ष ने सरकार कि शानदार घेराबंदी की और लम्बी कवायद के बाद भी देश को कुछ नहीं हासिल हुआ. सरकार और विपक्ष आरोप-प्रत्यारोप के नए तरीके खोज़ते रहे, लोकपाल के इंतजार में एक साल और बीत गया. मेरी गलती नहीं है का दर्शन फिर से मंडित किया जाता रहा. संसद में लोकपाल सत्र, सूत्रधार के हिसाब से ही चला, न कम, न ज्यादा. लालूजी की आरजेडी ने कामेडी सर्कस को पूरी तरह चरितार्थ किया वह भी अपने विशेषाअधिकारों का पूरा उपयोग करते हुए संसद में खूब तालियाँ बटोरी....                                                                       हमारी जानता को हर वक़्त मनोरंजन चाहिए, लोगों को अब भी यही लगता है कि पानी अभी सर से ऊपर नहीं हुआ और उनकी साँस तो अभी ठीक-ठाक चल ही रही है तो ऐसे में उन्हें अन्ना जैसों के साथ परेशानी उठानी कि क्या ज़रुरत है.                                                                               मीडिया अपना फोकस जल्दी-जल्दी बदल रहा है. खबर को मनोरंजन में बदलने कि होड़ मची है, किसने क्या,क्यों,कैसे, कहा पर कम स