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दशहरा- रावण अँकल कि डेथ एनिवर्सरी

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 रावण अंकल कि डेथ एनिवर्सरी हम लोग हर साल मनाते हैं और पता नहीं कब से उनका अंतिम संस्कार भी करते   आ रहें  है, इनके अंतिम संस्कार का खर्चा तो बढ़ता ही जा रहा है, पर यह अंकल इतने ढ़ीठ हैं कि मरने का नाम ही नहीं लेते। अब तो उनके प्रति न केवलश्रद्धा भाव दिखने लगी है, बल्की दिनों दिन बढ़ रही है, हर गली-मोहल्ले में उनके भक्त-अनुचर उनके दिखाए मार्ग का तत्परता से पालन कर रहें हैं, बाकी बेचारे लोग जो तमाम हथकंडे अपनाने के बाद भी ताकत और पैसे का जुगाढ़ नहीं कर पाए सबसे ज्यादा दुखी  और परेशान हैं, खैर रावण अंकल का पूरा खानदान जनता की सेवा में लगा है वह अपने परिवार से बाहर वाले किसी व्यक्ति को आगे नहीं बढ़ने देता, अब एक ही तरीका है कि उनसे रिश्तेदारी (गठजोड़) किया जाय और उसके पश्चात किसी मार्केटिंग गुरु से खुद का या फिर परिवार (संगठन) का प्यारा सा (डरावना) नाम रखा जाय, वैसे इनका किसी क्षेत्र (देश), जाति, धर्म से कोई वास्ता नहीं होता, इस परिवार में शामिल होने कि योग्यता स्वार्थ और मूर्खता है। जहाँ सही गलत का कोई अर्थ नहीं होता, सिर्फ गुलाम शरीर और मस्तिष्क को सर्वाधिक योग्य और उपयुक्त माना जाता है,

कौन जीता? कौन हारा?

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अभी हाल में जो घटनाएँ घटी या घट रही हैं, उनके पीछे की सोच-समझ, प्रतिक्रिया को शायद मै समझ नहीं पा रहा हूँ ? इसी  वजह से एक अज़ीब सी उधेड़ बुन चलती रही है कि मै गुस्से में हूँ या फिर दुःखी हूँ , यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है। यहाँ रिश्तों, सम्बन्धों का ताना-बाना टूट रहा है या फिर और जटिल होता जा रहा है। जहाँ हमारे सामाजिक, पारिवारिक मूल्यों का खोखलापन अब हमें चिढ़ाने लगा है और कथित शिक्षित वर्ग न तो किसी प्रकार के नए नैतिक मूल्यों का सृजन कर पा रहा है और न ही पुराने मानकों से बाहर निकल पा रहा है। वह एक साथ सब कुछ होना चाहता है।  जिसके लिए वह सभ्यता-संस्कृति कि चासनी में रंगे तमाम आयोजनों में अपनी औकात से अधिक पैसा खर्च कर रहा है तो दूसरी तरफ आधुनिक दिखने के लिए तमाम गैर ज़रूरी दूसरे कामों को भी करने को उतना ही बेचैन है।  यह एक अज़ीब विडम्बना है कि किसी भी व्यक्ति के आधुनिक होने का अंत उसी वक़्त हो जाता है जब वह खुद के बच्चों के बारे में सोचना शुरू करता है। सभी माँ-बाप सीधा, सरल और आज्ञाकारी संतान चाहते हैं और उनको लगता है कि ढेर सारा पैसा कमाने और फिर उसे महँगे से स्कूल में  ड़ाल देने से उ