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हमे सच बताएँ

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नेताजी से सम्बंधित गोपनीय दस्तावेज़ो का सर्वजनिक किया जाना देर से उठाया गया एक अच्छा कदम है । नेताजी कि मौत कैसे ,  कब , हुई ? या फिर नेताजी अपने ही देश में क्यों छुप कर रहे या फिर छुपाकर रखे गए ? इसके पीछे अनेकों कहानियों को गढा‌ जाता रहा है। वैसे भी आम आदमी चमत्कारों में बहुत उम्मीद रखता है। सब कुछ अच्छा करने के लिए और बद्लाव लाने के लिए वह किसी मसीहा , हीरो या फिर भगवान की सदैव उम्मीद लगाए रहता है ऐसे में ऐसी गोपनियताएँ , तमाम कहनियों के लिए ढेंरों गुंज़ाइश छोड़ जाती हैं। फिर नेताजी के बारे मे पता लगाने के लिए कई आयोगों का गठन किया गया , पर उनका क्या परिणाम निकला आज़ तक किसी को पता नहीं चला। जब किसी को बताना हि नहीं था तो इन आयोगों पर पैसा क्यों बर्बाद किया गया ? फिलहाल यह कम से कम एक शुरुआत तो है ही , वज़ह कुछ भी रही हो , राज़नीतिक कारणों से ही सही। अब सरकारों पर सच सामने लाने का दबाव बनेगा और हमारे राज़नीतिक दल और नेताओं को इतिहास में अपनी योजना के अनुसार दर्ज़ होने के अधिकार तो छिन ही जाएगा। जैसा कि तमाम लोग समय-समय पर सुझाव देते रहे है कि एक निश्चित समय बाद समस्त सरकारी दस्तावेज़