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New Reservation

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#reservation वह सही-गलत का शोर तब तक करता रहा। जब तक उसको गठरी में हिस्सा नहीं मिला।। खैर यहाँ सही तभी तक सही है जब तक वह मनमाफिक गलत का भागीदार न हो जाए और अपना हिस्सा मिलते ही उसका सुर बदल जाता है और बेचारा सच हमारा लोकतंत्र बन जाता है जो भीड़ तंत्र के Pressure groups के सामने महज vote bank बचाओ अभियान जैसा है। जहाँ सिर्फ़ vote का ही महत्व है कैसे किस कीमत पर, यह कोई सोचना समझना नहीं चाहता। यह किसी एक पार्टी या सरकार की बात नहीं है क्योंकि जो कुछ हो रहा है वह एक स्वीकार्य परंपरा रही है। अगर आपको किसी खास व्यक्ति या खास पार्टी में ही केवल दोष दिखाई देता है तो समझ लीजिए आप भी किसी खास जातीय, धार्मिक और वैचारिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं जिसमें सिर्फ़ selective truth दिखाई देता है। पूरे मीडिया विमर्श को देख लीजिये कि कौन सा media house पूरे घटना क्रम में कौन सा selective truth सामने रखता है जो गलत तो नहीं होता पर वह पूरा सच नहीं होता। वो अब एक तरीके से opinion making की marketing कर रहे हैं। चलिए कुछ कथित पढ़े-लिखे लोगों की चर्चा करते हैं जो अब तक Unreserved को सवर्णों का कोटा क