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Showing posts from April, 2020

Parashuram ki kahani

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कथा परशुराम की  Social Network से प्राप्त इस मजेदार जानकारी को आइए साझा करते हैं... । भगवान परशुराम के अति संक्षिप्त जीवन चक्र एवं उनसे सम्बंधित भ्रांतियों पर प्रकाश। “ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात्।"| हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। सौभाग्य व सफलता का सूचक अक्षय त्रितया ख़ुद में एक सर्वसिद्धि मुहर्त दिन है। त्रेतायुग के आरंभ में जन्मे भगवान परशुराम को विष्णु भगवान के छठवे अवतार के रूप में उनका आवेशावतार कहा जाता है। ये उन सात महापुरुषों में हैं जो अमर हैं, चिरंजीवी हैं। अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण। कृप: परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविन।। सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।। अर्थात अश्वत्थामा, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, भगवान परशुराम तथा ऋषि मार्कण्डेय जी हमेशा हमेशा के लिए अमर हैं। उन्होंने एकादश छन्दयुक्त “शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र” भी लिखा। तो आ...

My village

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मेरा गाँव  सोनाई Uruva, Prayagraj  यह दृश्य हमारे गाँव की "बम्बा देवी" का है। जो कि हमारी "ग्राम्य देवी" हैं। जैसा कि पुराने समय में हर गाँव के अपने देवी-देवता हुआ करते थे और हर घर में अपने-अपने ठाकुर महराज। अब ठाकुर महराज अधिकांश घरों से लुप्त हो चुके हैं। जबकि गांवों में उनके देवी-देवता बरकरार हैं और ऐसे दृश्य प्रायः हर गाँव में मिल जाते हैं।    यहाँ के पूजा पद्धति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ पूजा का सारा काम महिला पुजारी करती है और जिस परिवार के लोग सदा से करते आ रहे हैं वो पासी जाति (SC) से हैं। अब यहाँ जाति के बारे में इस तरह लिखना अच्छा तो नहीं लगता...   पर अपने समाज की इस खूबसूरती का जिक्र किया जाना चाहिए कि हम किस तरह की विरासत को अब भी संजोए हुए हैं कि एक ब्राह्मण बाहुल्य, वो भी गांव में, एक दलित, वो भी महिला, पुजारी है... हां पूजा कब होगी इसकी घोषणा भी यही करती हैं आमतौर पर जब गेहूँ की कटाई हो चुकी होती है और गांव के सभी लोग लगभग खाली होते हैं और जेठ का महीना तप रहा होता है। प्रायः इसी समय गांव के सभी लोग तीन दिनों तक अपने रसोई घरों में...