India of my idea
मेरा भारत-मेरा विचार मै जब सोचता हूँ कि मेरा भारत कैसा है या फिर उसे कैसा होना चाहिए ? तो मुझमे सपने देखने और सोचने कि एक प्रक्रिया शुरू हो जाती है , जिसमें मै अपना भारत गढता हूँ और यही वाला भारत मेरे अंदर बसता है मुझे इसके प्रतीकों से कोई फर्क नहीं पडता , किसी और वाला माडल मुझे उतना शूट नहीं करता फिर वही दकियानूसी सही-गलत होने का फार्मूला एक ही ढाँचे में सबको ढालने की कोशिश , अरे मेरी पंजाबियत , बिहारीपन , बंगाली , मणीपुरी , मराठी...पन... सब जैसे हैं वसे ही रहने दो इसकी खूबसूरती इसके ऐसे होने में ही है और मै अपने भारत को इन्ही नज़रिए से देखूँ और महसूस करूँ। भारत मेरे लिए सिर्फ माँ नहीं है मै उसे पिता , भाई , बहन , दोस्त , प्रेमी , प्रेमिका भी मानना चाहता हूँ या फिर इनमे से कुछ भी नहीं। मै उसे अब भी एक छोटा सा बच्चा मानता हूँ जिसे जतन की जरूरत है , यह मेरी मर्ज़ी है कि मै उसे क्या मानूँ इससे किसी को फर्क नहीं पडना चाहिए , जो मुझे आकर रोके और कहे ऐसे ही मानो , सिर्फ यही तरीका सही है | अब आगे सवाल ए उठता है ...