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UPPSC Examas and results | a salute to fighters

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UP PCS And UPSC हमारे यहाँ उ.प्र. मे भी प्रतोयोगी छात्र आयोग और सरकार के खिलाफ लगातार संघर्ष कर रहे हैं और इस संघर्ष का समाचार , अखबारों में अति स्थानिय हो जाने के   कारण इलाहाबाद से बाहर निकल हि नहीं पा रही थी वो तो सोसल नेटवर्क की वजह से बात और लडा‌ई कुछ हद तक लोगों तक पहुँची पर आज़ भी यह दिल्ली वाले कथित राष्ट्रीय मीडिया के लिए कोई शानदार इवेंट नहीं बन पाया है क्योकि जब तक , राजनीतिक दल एक दूसरे को गरियाने कि नूराकुश्ती न खेले , टीवी पर मज़ा नहीं आता या तो मौते हों नहीं तो फिल्मी ग्लैमर वाला सेंसेशन तो क्रीएट होना ही चाहिए नहीं तो अच्छी न्यूज़ कहाँ बनती है .. और प्रतियोगी छात्र ठहरे   डरपोक (जोकि हर समझदार आदमी होता है) उन्होंने   न तो पटरियाँ उखाडी‌ और न ही जाति के आधार पर संगठित होकर सरकार बनाने बिगाडने का खेल ही खेल पा रहे हैं ले दे के एकमात्र सहारा कोर्ट का है फिर यहाँ की फीस सुनकर ही आदमी हिम्मत छोड़ दे अब तो ऐक्टीविस्ट भी मोटा आसामी ही सकता है या फिर उसे लड़ने के लिए भी अच्छी स्पोंसर मिली हो नहीं तो आपके खिलाफ कोई रोहतगी या सोराबज़ी खड़ा होगा फिर क्या फैसला होगा..... ???

Clean Ganga Mission

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स्वच्छ गंगा अभियान                       हमारे शहर इलाहाबाद में भी गंगा की स्वच्छता के लिए सिविल लाइन मे बाकायदा रैली निकाली जाती है, जिसकी अगले दिन अखबारों फोटो भी छपती है,और कभी-कभी गंगा तट पर सफाई भी की जाती है पर सारा कूडा वहीं पास में छोड‌ दिया जाता है जो कुछ दिनों बाद वहीं वापस.. ...वैसे माघ मेले के बाद की पूरी सफाई जुलाई-अगस्त के बाढ़ में ही हो पाती है, जब पूरी गंदगी गंगासागर कि तरफ प्रस्थान कर जाती है, तब संगम क्षेत्र कैमरा के लिए सर्वाधिक अनुकूल हो चुका होता है, वैसे ऊपर-नीचे दोनों तस्वीरें एक ही जगह से ली गयी हैं, बस एक गंगा की तरफ और दूसरी अरैल बाँध के तरफ की है जो हाईकोर्ट की वजह से बच गया है,नहीं तो नवप्रयाग कब का बस गया होता और तब की स्थिति का अंदाज़ा... वास्तव में स्वच्छता का सम्बन्ध हमारे आदतों से है और उसमे जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह यह है कि हमारे संवेदनशीलता का आकलन भी हमारे रहन-सहन और व्यवहार से समझा जा सकता है। हम कितना भी धार्मिक, आध्यात्मिक और उदार होने का दावा करे, वह तब तक सच नहीं माना जा सकता जब तककि वह हमारे व्यवहार में दिखाई न पड़े और यह आदत तभी आ