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सब जगह जाम है

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Traffic Jam आपका शहर में स्वागत है आजकल "जाम" हर शहर में भयानक रूप धारण कर चुका है इसका कारण क्या है? तो मानी हुई  बात है कि हम संसाधनों का विकास उस तरह से नहीं कर पाए हैं जितनी हमारी जरूरतें हैं अब अगर इन जरूरतों के अनुकूल, संसाधन नहीं होंगे तो समस्या आएगी ही। गाड़ियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है, हर आदमी कार से चलना चाहता है पर यह गाड़ियां कहाँ चलेंगी और रूकेंगी? इस बात की फिक्र किसी को नहीं है, बस गाड़ियां खरीदते, बेचते रहो और बाजार फलता-फूलता रहे। सड़कों की हालत देखिए, हर तरफ भयानक मंजर ही नजर आता है, सब कुछ नाकाफी है। सड़क कितनी भी चौड़ी कर दी जाए, कितने भी फ्लाईओवर बना लिया जाएं लेकिन जाम तो जैसे एक शाश्वत सत्य बन गया है जितनी जगह मिलेगी उतना ही बड़ा जाम लगेगा।      आइए देखते हैं इसके मूल कारण क्या हैं? तो पहला कारण है- अनुशासन की कमी, सड़कों पर आज भी हमें चलना नहीं आता, कोई भी यातायात के नियमों का पालन करने को तैयार नहीं है और ज्यादातर लोग सड़क पर ऐसे चलते हैं जैसे किसी जंग पर निकले हों और यही मानसिकता समस्या की जड़ है।     उसके बाद आता है मूलभूत

एख ख़बर मीडिया की

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कौन से ऐंगल से क्या दिखाना है, क्या मतलब बताना है , नहीं.. नहीं अरे भाई क्या साबित करना है? किसके पक्ष में? दूसरा पक्ष? अबे ए क्या होता है? TRP सही आ रही है न, बस.. बस.. ज्यादा ज्ञान न दो, सब चलता है , entertainment+news=perfect business. आइए कुछ घटनाओं पर गौर करते हैं.. अरे! जो आपके अपने शहर या गााँव की हैं, मतलब  जिसकी काफी हद तक आपको जानकारी है, उसकी कैसे व्याख्या होती है, पता चला आप ही के बारे में इतना कुछ बता दिया गया, जो आपको आज तक पता ही नहीं था। तो फिर स्थानीय घटनाओं का जिक्र करते हैं और आप भी सूचना या news की बमबारी से होने वाले प्रभाव का आकलन करिए...                     हमारे नैनी, इलाहाबाद में अभी दो दिन पहले दो Engineering छात्रों की हत्या कर दी गयी। तो हो सकता है उन्होंने ने भी कोई गलती की है? पर हत्या ?? मीडिया के लिए no news, क्योंकि .. no dalit, no minority was killed. और कुछ दिन पहले दो दलितों की उन्हीं के पड़ोसियों ने पीटकर हत्या कर दी no news because, Dalit was killed by Dalit, यहीं की एक और घटना है, media ने जोर शोर से coverage शुरू किया कि बेचारे मुस्लिम पर