मीडिया गीरी
हमारा मीडिया और बुद्धिजीवी वर्ग, जिस निष्पक्षता, उदारता की माँग कर रहा या उसके लिए संघर्ष करता दिखाई दे रहा है, क्या वास्तव में वह खुद उदार और निष्पक्ष है। तो जवाब??? वो खुद अपने संस्थान को देख लें, किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है। खैर सबको पता है, आपका भी अपना एक एजेंडा है। वास्तव में प्रेस का काम जनता को सरकार से बचाना है और यह काम सरकार की आलोचना से ही शुरू होती है। जो सत्ता में बैठे लोगों को एहसास कराती है कि यह लोकतंत्र है और आप मालिक नहीं हैं। लेकिन प्रेस की जगह अब मीडिया ने ले लिया है, सब कुछ live, trp यानी बाजार के हाथ में है। यह एक तरह का live, entertainment है और इस तरह का वाहियात मनोरंजन परोसने वालों को प्रेस नहीं कहा जाना चाहिए। इस समय मीडिया में घटनाओं को खास नजरिए से देखने और बताने का जबरदस्त मुकाबला हो रहा है। जिसमें सब जगह खतरा और डर का जिक्र हो रहा है। सबसे ज्यादा पड़ोसी मुल्क से देश को खतरा है। अब मजेदार युद्ध शुरू होने वाला है, बस एक ओवर में सब निपट जाएगा... हद हो गयी। इसके बाद दलित, अल्पसंख्यक, जो एकदम बेचारे सीधे-साधे सदियों से सताए हुए ...