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New Goernment, new name | नई सरकार- नए नाम

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सुनने में आ रहा है कि हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा अपनी विचार धारा के लोगों और शब्दों से जिन जिलों का नामकरण किया था. उनका पुनः नामकरण करने वाले है , यानि बदलने वाले है. खैर वह यह काम बड़ी आसानी से कर सकते हैं? बहन मायावतीजी को भी किसी ने नहीं रोका था और भैया अखिलेशजी को तो रोकने का सवाल ही नहीं उठता? वैसे भी उन्होंने ज्यादा रनों से मैच जीता है और उनके पांच साल तक बने रहने में  कोई संदेह नहीं है.                                                                चलिए इसी बहाने एक बार हम कुछ शब्दों पर गौर करते हैं - सी.एस.एम.के.यू., डी.डी.यू.जी.यू., जे.एन.यू., आई.जी.एन.ओ.यू.. क्या आपको पता है कि ए हमारे विश्वविद्यालयों के नाम हैं न कि ए बी सी डी के बिखरे हुए शब्द और इसका कारण हमारे राजनैतिक दल हैं जो अपनी पार्टी या विचारों से जुड़े लोगों को अमर बनाए के लिए सरकारी खर्चे पर यह काम आसानी से कर लेते हैं. क...

voter- jindabad

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From Amar Ujala सबसे पहले हम चुनाव आयोग को ज़बरदस्त प्रबंधन और सरकारी तंत्र के शानदार इस्तेमाल के लिए बधाई देते हैं. जिसने आम लोगों में विश्वास का संचार किया की हम भी कुछ हैं,किसी से डरने की ज़रुरत नहीं है, मतदान की लाइन में सब एक बराबर हैं और सबको सामान अधिकार है . इस बार के विधानसभा चुनावों को हम भारतीय लोकतंत्र के लिए मील का पत्थर मन सकते हैं. जहाँ सभी राजनीतिक दल अपने मुद्दों और नीतियों के अभाव में हांफते नज़र आ रहें हैं. वहीं मतदाता बेफिक्री से मतदान कर रहा है.             अबकी चुनाव में मतदाता अपने आगे-पीछे खड़े व्यक्ति से यह नहीं जानना चाहता की वह किसे वोट दे रहा है और न ही अपने विचार किसी पर थोपने की कोशिश कर रहा है. यह हमारे लोकतंत्र के परिपक्व होने की निशानी है. जहाँ हम असहमति को भी जगह देने को तैयार हो रहे हैं.                                  आम आदमी आज भी अपने रोज़मर्रा की ज़रूरते मुश्किल से पूरी कर पा रहा है, इसके बाद भी वह मतदान प्रक्रिया में सर्वाधिक भाग...