human rights
हम महान मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विचारकों के बीच रह रहें हैं | जो मीडिया में बने रहने कि खूबी से युक्त हैं और बड़ी आसानी से अपने आपको बिना कुछ किए ही चर्चा में बनाए रखते हैं | इसको हम २००९ के नोबेल शांति पुरस्कारों से समझ सकते है | जहाँ ओबामा को यह पुरस्कार इसलिए दिया गया कि उन्होंने दुनिया में अपने भाषणों से एक उम्मीद जगाई | पर किया क्या किसी को पता नहीं | किसी भी देश को जिसे हम आज देख रहें हैं , वह अतीत में हुए अनेकों विध्वंशों, अच्छाइयों और बुराइयों का परिणाम है | किसी भी सामाजिक , राजनितिक ढांचे को एक देश बनाने के लिए वहां के नागरिकों को अपने व्यक्तिगत दुराग्रहों को छोड़ना पड़ता है | जो क्षेत्र,धर्म,भाषा,जाति आदि पर आधारित होते हैं, वह भी किसी महान कुर्बानी के भाव से नहीं छोड़ा जाता बल्कि खुद को अधिक ताकतवर,सुरक्षित और सक्षम बनाने के लिए किया जाता है ,यह एक तरह का समझदारी भरा स्वार्थ है, खास तौर पर भारत के सन्दर्भ में | हम अपनी तुलना अमेरिकी या यूरोपीय देशों से नहीं कर सकते जहाँ कि आबादी...