Posts

सलाम-जापान

Image
नियागी,फुकुशिमा में सिर्फ तबाही ही नज़र आती है, सब कुछ कूड़े के ढेर में तब्दील हो गया है. सुनामी की चपेट में आए ए वो जगह हैं जो मनुष्य और प्रकृति के बीच हो रहे टकराव का क्रूर परिणाम हैं या हम कहें कि प्रकृति कैसे मनुष्य कि सारी तैयारियों को कुछ पलों में नेस्तनाबूत कर देती है कि सारे  सिद्धांत और खोज नाकाफी लगने लग जाते हैं | आदमी प्रकृति के आगे हर बार बौना साबित हो जाता है. जब भी ए घटनाएँ घटती है, हमारे सीखने और समझाने के लिए ढेर सारी चीजें छोड़ जाती हैं. अब यह हमारे ऊपर है कि हम अपने जीने और रहने के तरीके कैसे बनाते और अपनाते हैं. इन घटनाओं के बाद घटने वाली दुर्घटनाओं में एक बड़ी सीख हर बार यह तो मिलती ही है कि प्रकृति से हम जीत नहीं सकते. इसलिए टकराव का रास्ता छोड़ना होगा. अपने विकास, उपलब्धियों और खोजों को प्रकृति से जोड़ना आवश्वक होता जा रहा है, विकास में संघर्ष और असंतुलन को दूर करना सभी सरकारों और संगठनों कि पहली प्राथमिकता होनी चाहिए क्योकि बाज़ार और उसका मुनाफा तभी हासिल होगा जब लोग...

human rights

Image
हम महान मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विचारकों के बीच रह रहें हैं | जो मीडिया में बने रहने कि खूबी से युक्त हैं और बड़ी आसानी से अपने आपको बिना कुछ किए ही चर्चा में बनाए रखते हैं | इसको हम २००९ के नोबेल शांति पुरस्कारों से समझ सकते है | जहाँ ओबामा को यह पुरस्कार इसलिए दिया गया कि उन्होंने दुनिया में अपने भाषणों से एक उम्मीद जगाई | पर किया क्या किसी को पता नहीं |                          किसी भी देश को जिसे हम आज देख रहें हैं , वह अतीत में हुए अनेकों विध्वंशों, अच्छाइयों और बुराइयों का परिणाम है | किसी भी सामाजिक , राजनितिक ढांचे को एक देश बनाने के लिए वहां के नागरिकों को अपने व्यक्तिगत दुराग्रहों को छोड़ना पड़ता है | जो क्षेत्र,धर्म,भाषा,जाति आदि पर आधारित होते हैं, वह भी किसी महान कुर्बानी के भाव से नहीं छोड़ा जाता बल्कि खुद को अधिक ताकतवर,सुरक्षित और सक्षम बनाने के लिए किया जाता है ,यह एक तरह का समझदारी भरा स्वार्थ है, खास तौर पर भारत के सन्दर्भ में | हम अपनी तुलना अमेरिकी या यूरोपीय देशों से नहीं कर सकते जहाँ कि आबादी...