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voter- jindabad

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From Amar Ujala सबसे पहले हम चुनाव आयोग को ज़बरदस्त प्रबंधन और सरकारी तंत्र के शानदार इस्तेमाल के लिए बधाई देते हैं. जिसने आम लोगों में विश्वास का संचार किया की हम भी कुछ हैं,किसी से डरने की ज़रुरत नहीं है, मतदान की लाइन में सब एक बराबर हैं और सबको सामान अधिकार है . इस बार के विधानसभा चुनावों को हम भारतीय लोकतंत्र के लिए मील का पत्थर मन सकते हैं. जहाँ सभी राजनीतिक दल अपने मुद्दों और नीतियों के अभाव में हांफते नज़र आ रहें हैं. वहीं मतदाता बेफिक्री से मतदान कर रहा है.             अबकी चुनाव में मतदाता अपने आगे-पीछे खड़े व्यक्ति से यह नहीं जानना चाहता की वह किसे वोट दे रहा है और न ही अपने विचार किसी पर थोपने की कोशिश कर रहा है. यह हमारे लोकतंत्र के परिपक्व होने की निशानी है. जहाँ हम असहमति को भी जगह देने को तैयार हो रहे हैं.                                  आम आदमी आज भी अपने रोज़मर्रा की ज़रूरते मुश्किल से पूरी कर पा रहा है, इसके बाद भी वह मतदान प्रक्रिया में सर्वाधिक भाग...

Happy New Year | फिर नया वर्ष?

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लोकपाल पर संसद में ज़ोरदार, हंगामेदार या हम कहें मनोरंजक बहस हुई. जिसमे विपक्ष ने सरकार कि शानदार घेराबंदी की और लम्बी कवायद के बाद भी देश को कुछ नहीं हासिल हुआ. सरकार और विपक्ष आरोप-प्रत्यारोप के नए तरीके खोज़ते रहे, लोकपाल के इंतजार में एक साल और बीत गया. मेरी गलती नहीं है का दर्शन फिर से मंडित किया जाता रहा. संसद में लोकपाल सत्र, सूत्रधार के हिसाब से ही चला, न कम, न ज्यादा. लालूजी की आरजेडी ने कामेडी सर्कस को पूरी तरह चरितार्थ किया वह भी अपने विशेषाअधिकारों का पूरा उपयोग करते हुए संसद में खूब तालियाँ बटोरी....                                                                       हमारी जानता को हर वक़्त मनोरंजन चाहिए, लोगों को अब भी यही लगता है कि पानी अभी सर से ऊपर नहीं हुआ और उनकी साँस तो अभी ठीक-ठाक चल ही रही है तो ऐसे में उन्हें अन्ना जैसों के साथ परेशानी उठानी कि क्या ज़रुरत है.   ...