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Reservation politics | आरक्षण नामा

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aarakshan nama आरक्षण की राजनीति एक बार फिर शुरू हो गई है. जहाँ सही गलत का कोई अर्थ नहीं है. यहाँ सिर्फ राजनैतिक नफा-नुकसान का खेल चल रहा है.हमारे राजनैतिक दलों ने अपना आधार जातीय और धार्मिक समीकरणों पर खड़ा कर रखा है. ऐसे में इनसे किसी नेक नियति की उम्मीद करना बेमानी होगी. अंग्रेजों की बांटों और राज करो की नीति आज भी उतनी कारगर है और हमारे राजनैतिक दल इसका पूरा अनुसरण कर रहें हैं. इनका मकसद सिर्फ सत्ता पाना है और अपने वोट बैंक को बनाए रखना है. हम राजनैतिक दलों और व्यक्तियों की गुंडागर्दी भी इसी अर्थ देख और समझ सकते हैं. जहाँ राजनीति एक व्यवसाय बन गयी है और व्यवसाय चलाने के सारे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.        आज भी अनुसूचित जातियों और जनजातियों की जो सामाजिक,आर्थिक स्थिति है, वह किसी भी प्रगतिशील समाज के लिए शर्मनाक है. अब भी किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को शहरों में भी  आसानी से कमरा नहीं मिल पाता और जिस तरह के जातीय पूर्वाग्रह से पढ़ा-लिखा वर्ग भी ग्रसित है, वह वास्तव में शिक्षित होने का अर्थ ही खो देता है. गावों की तो बात ही छोडिए. अभी हमारे एक मित्र जो...

shame

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                                 एक बार फिर हम पूरी दुनिया के सामने अपना मजाक बनाने में लग गए हैं.जहाँ जाति और मज़हब को लेकर हमें कोई भी भड़का सकता है और लोग मज़े के लिए तोड़ फोड़ में शामिल हो जा रहे हैं, बिना सही गलत जाने और यह वोट की राजनीति हमारे पूरे तंत्र को निकम्मा बना देती है. आखिर कब हम एक देश की तरह व्यवहार करना शुरू करेंगे, जहाँ एक ही मज़हब, एक ही पहचान हो, वह भारतीयता की हो, हम एक हैं, हम भारतीय हैं, हम एक दूसरे की सुरक्षा का करण बने न कि खतरा.. हमारी नयी पीढ़ी जो हर वक़्त नेट पर लगी रहती है, वह महज़ मनोरंजन कि तलाश करती रहती है और अनजाने में ही अफवाहों को तूल देने का काम कर जाती हैं. जबकि नेट पर जानने समझने के लिए ढेरों सामग्री होती है जिसे देखने पढ़ने कि फुर्सत किसी को नहीं होती, अरे भईया कुछ शेयर, लाइक करने से पहले उसके पीछे के मकसद को भी तो समझने कि कोशिश कर लो और आज बड़ी आसानी से पढ़े लिखे लोगों को भी कुछ शातिर लोग शिकार बना लेते  हैं और हर जगह मज़ा लेने के लिए, ...