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हमे सच बताएँ

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अपना अपना सच  नेताजी से सम्बंधित गोपनीय दस्तावेज़ो का सर्वजनिक किया जाना देर से उठाया गया एक अच्छा कदम है । नेताजी कि मौत कैसे ,  कब , हुई ? या फिर नेताजी अपने ही देश में क्यों छुप कर रहे या फिर छुपाकर रखे गए ? इसके पीछे अनेकों कहानियों को गढा‌ जाता रहा है। वैसे भी आम आदमी चमत्कारों में बहुत उम्मीद रखता है। सब कुछ अच्छा करने के लिए और बद्लाव लाने के लिए वह किसी मसीहा , हीरो या फिर भगवान की सदैव उम्मीद लगाए रहता है ऐसे में ऐसी गोपनियताएँ , तमाम कहनियों के लिए ढेंरों गुंज़ाइश छोड़ जाती हैं। फिर नेताजी के बारे मे पता लगाने के लिए कई आयोगों का गठन किया गया , पर उनका क्या परिणाम निकला आज़ तक किसी को पता नहीं चला। जब किसी को बताना हि नहीं था तो इन आयोगों पर पैसा क्यों बर्बाद किया गया ? फिलहाल यह कम से कम एक शुरुआत तो है ही , वज़ह कुछ भी रही हो , राज़नीतिक कारणों से ही सही। अब सरकारों पर सच सामने लाने का दबाव बनेगा और हमारे राज़नीतिक दल और नेताओं को इतिहास में अपनी योजना के अनुसार दर्ज़ होने के अधिकार तो छिन ही जाएगा। जैसा कि तमाम लोग समय-समय पर सुझाव देते रहे है कि एक निश्चित समय बा...

happy hindi day

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हिन्दी दिवस  अगर हिंदी दिवस की समस्त शुभकामनाएँ, संदेश या फिर निमंत्रण पत्र, बधाई पत्र आदि अंग्रेजी में हो तो सोचिए कैसा लगेगा? निश्चय  ही अटपटा लगेगा, पर ऐसा अगर कम हिंदी जानने वाले या फिर विदेश में बसे लोग करें तो बिलकुल भी बुरा नही लगेगा। बल्कि उनकी टूटी-फूटी हिंदी भी हमें मोहक लगने लग जाती है। अब इंटरनेट और मोबाइल के आ जाने से सभी bhashon ki Romanised lipi hi jyada se jyada istemal ki jaane lagi hai. ऐसे में भाषा की लिपि को लेकर पूरा मामला अब व्यक्तिगत ही होता जा रहा है कि भाई मै किस में कम्फर्टेबल हूँ ।  अपने यहाँ १४ सितम्बर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है और जब भी हम किसी दिन को किसी भी वज़ह से खास बनाना चाहते हैं तो उस दिन को अपने किसी खास स्मृति या फिर किसी भविष्यगामी लक्ष्य की    प्राप्ति का वादा या प्रतिज्ञा, हम स्वयं को याद दिलाने के लिए करते हैं कि हमें क्या हासिल करना है? क्या और कैसे बनना है? यह सारा उपक्रम रचते समय यह भी ध्यान रखना है कि इसमे किसी प्रकार की बाध्यता या  जोरजबरदस्ती  नहीं  होनी चाहिए, चाहे यह हमा...