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a platform to abuse

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भक्त इस समय social network पर गाली गलौज करने वालों का कुछ खास तरह का ग्रुप खूब चल रहा है। जो फिलहाल कुछ इस तरह नजर आता है - 1- भक्त 2-जेहादी 3-दलित 4-ब्राह्मणवादी 5-समाजवादी। इनका एक सूत्री काम अति साहित्यिक गालियों से सब को अवगत कराना है। साथ ही यह भी बताना है कि मै कितना काबिल हूँ और मै जिस परिवार, समाज का प्रतिनिधि होने का दावा करता हूँ, वहाँ से मैने क्या सीखा है। उनकी बात से इतना  तो साबित है कि ए पढ़ लिख सकने वाले भयानक जाहिल हैं। जिन्हें सच में, कुछ पता नहीं है और ए बेचारे किसी संगठन के pumplate को ही सम्पूर्ण साहित्य और अंतिम सत्य मान बैठते हैं। जबकि देखने, जानने, समझने को इतना कुछ है कि जरा सी आँख खोलते ही, मजहब और जातीय बोध से जुड़ी तमाम दुर्भावनाएँ ज्यादा देर तक टिक नहीं सकती। बस जरूरत इस बात की है कि न केवल आँख और दिमाग खोला जाय, बल्कि खास तरह के चश्मों से मुक्ति भी पायी जाए। rajhansraju 🌹🌹❤️🙏🙏❤️🌹🌹   ⏩मेरा गाँव      ⏩to Intellectuals  ⏩citizenship   ⏩JNU/CAA/NRC ⏩Harishnakr Parsai ⏩Swastik ********************** (53) ***********...

reservation politics

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आरक्षण राग आरक्षण उस चीज का नाम है जो जातीय आधार पर लोगों को संगठित होने का अवसर देती है और ए संगठित समूह राजनीतिक दलों के लिए सबसे अच्छे वोट बैंक होते हैं क्यों कि इसके विरोधी और समर्थक दोनों घृणा की राजनीति में किसी खास दल की भक्ति कर रहे होते हैं। जबकि सरकारी नौकरियों की संख्या इतनी है ही नहीं कि किसी खास समुदाय का इससे विकास हो सके। आप किसी भी जाति से संबंध रखते हों परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। इसलिए अतीत से संघर्ष करने की आवश्यकता नहीं है। यहाँ टीना डाभी, शाह फैजल, अजीम प्रेमजी, शाहरुख, सचिन, लालू, मुलायम, माया, अमिताभ, दिलीपकुमार, .... या फिर नटवर लाल, छोटा राजन, दाऊद... केजरीवाल, अन्ना हजारे.. सब बनने की छूट है, मेहनत करिए और बन जाइए। आरक्षण बेमन से ही सही अब एक सर्व स्वीकार्य व्यवस्था बन चुकी है, पर समस्या यह है कि इस पर बात करने से पता नहीं क्यों लोग डरते हैं। इसका लाभ किस जाति को कितना हुआ, कौन सा समूह इतने वर्षों बाद भी समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं हो पाया। तो आरक्षण के अतिरिक्त दूसरे प्रयास भी करने होंगे और उपेक्षित, पीड़ित, शोषित की मानसिकता से मुक्त होने की जरूरत है...