I'm fool | मैं मूर्ख हूँ
मूर्ख कहीं के यह बात स्वीकार कर लेने में कोई हर्ज नहीं है कि हम मूर्ख हैं और इस मूर्खतापूर्ण व्यवहार का राष्ट्रीयकरण हो चुका है, जहाँ आगे निकलने की मूर्खतापूर्ण होड़ लगी है। किसी व्यक्ति के विचार को ही आज तमाम राजनीतिक कारणों से अंतिम सत्य की तरह व्याख्या की जाती है जबकि सभी लोग किसी खास वाद से ग्रसित होकर किसी दूसरे वाद का विरोध सिर्फ़ राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ही करते हैं। हमारे कथित बुद्धि जीवियों की समस्या यह है कि वह कुछ नया गढ़ने में सक्षम नहीं हैं। वह सिर्फ़ अतीत के महिमामंडन या गाली गलौज करने को अपनी विद्वता मान बैठे हैं। कृपा करके आज के समाज और समस्याओं को देखिए.. उनका समाधान सुझाइए। वैसे इस बात पर विचार करिए कि आज भी शिक्षा कोई मुद्दा क्यों नहीं है.. कैसे भी संगठन और व्यक्ति हों, वो क्या कभी इस पर बात करते हैं कि आपको अपने समाज में भी यदि कोई अधिकार मिलेगा तो वह शिक्षा से ही मिलेगा इसके लिए आपको अपने बच्चों को स्कूल भेजना होगा और शिक्षा कैसे भी करके हासिल...