भक्त
हमारे एक परम मित्र नया-नया मोदी जी से प्रभावित होना शुरू हुए हैं वैसे वो बहुत दिनों से मौके की तलाश में थे कि कोई उचित अवसर मिले और वो भी सिंधिया ही जाऐं। हालांकि राज्य सभा तो नहीं परन्तु भक्त मंडली की अमृत वाणी से स्वयं को अभिसिंचित करने का सौभाग्य उन्होंने हासिल कर लिया है। बस निरंतर भक्तों की आलोचना करते रहने के कारण थोड़ा बहुत संकोच होना स्वाभाविक है उसी को दूर करना है इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम स्वयं को आलोचकों से विरत होना होता है और भक्ति साहित्य का रसास्वादन करना होता है। ऐसे ही धीरे-धीरे व्यक्ति कब एक चरम भक्त बन जाता है उसे इस बात का ज्ञान ही नहीं होता। आइए इस प्रक्रिया का थोड़ा मनोविश्लेषण करें कि यह भक्त बनने का प्रथम चरण किस प्रकार होता है। जिसमें व्यक्ति आसानी से यह बात स्वीकार नहीं करता और उसे निरंतर खास तरह के चैनलों से विचारपान करना पड़ता है इसके पश्चात कुछ और दिखाई देना धीरे-धीरे स्वयं ही बंद हो जाता है और वह पूरी तरह मोदी मय होकर, मोदी चालीसा का पठ करने लग जाता है। शुरुआत में किसी और से अपने बारे में यह सु...