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कैसा सच? किसका सच?

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पूरा सच... आधा सच .. सच के पहले और बाद का सच, इन सबके बाद भी सच का पता नहीं चलता कि आखिर किस बात को सच बनाया जा रहा है और जो मीडिया में दिखाया, बताया जा रहा है। वह तर्क, बुद्धि से परे निश्चित रूप से अविश्वसनीय है। उसका फोकस सिर्फ बाजार है और बाजार का संबंध मुनाफा से है। इसी कारण वह एक ही समय में beauty product, religion और आतंकवाद सबको दिखाता है क्योंकि सब कुछ बिक रहा है। बाजार में सबके लिए जगह है, बस उसकी packaging अच्छी होनी चाहिए। यह हो भी रहा है। पूरी दुनिया में आतंकवाद एक बड़ा व्यवसाय है, जो हथियारों की खरीद फरोख्त का पूरी तरह विकेन्द्रित तरीका है। जिसमें आतंकी संगठन पूरी तरह private company की तरह व्यवहार करते हैं और उसके सारे आदर्श मालिक के पक्ष में होते हैं। यह संगठन तब और अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जब वह किसी खनिज संपदा वाले क्षेत्र पर काबिज हों या फिर इस जगह का सामरिक महत्व हो। तब तो वहाँ के लोगों की खैर नहीं और सच का अजब-गजब projection शुरू हो जाता है। किसका सच, कौन सा सच, सब प्रायोजित।          खैर ज्यादातर लोग, जो इस तरह की गतिविध...

सावधान! सामने! अपना नेता है!

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अगर आप गाँव, मुहल्ला, शहर में सुख और शांति बनाए रखना चाहते हैं तो अधिकार और हक के नाम पर जागरूक करने वाले महान व्यक्तियों से सावधान हो जाइए, क्यों कि- 1- ए जिस हक की बात करते हैं। उसे अकेले ही  पूरा हडप लेते हैं। 2- इनकी बात आमतौर पर धार्मिक, जातीय खतरे से शुरू होती है। जिसमें अतीत की भयंकर या फिर स्वर्ण काल वाली व्याख्या होती है। इनका काम इनके भक्त या प्रशंसक से ज्यादा, आलोचक करते हैं। 3- ए वर्तमान शिक्षा, समाज, अवसर, इन विषयों पर कभी बात नहीं करते। 4- इनके विचारों में महिला तो हो ही नहीं सकती। अगर कोई डरावनी चीज है तो वह महिला ही है। उसका जिक्र आते ही बोलती बंद। ऐसे में यदि यह आदमी धार्मिक या राजनीतिक getup में हुआ तो खतरा और बड़ा है। सावधान हो जाइए और अपने गाँव, शहर को बचा लीजिए। ए  लोग अब जहाँ भी जागरूकता लाते हैं, वहाँ सिर्फ आग लगती है। पहले पुलिस ... फिर सेना आती है.. तब वह दिल्ली में बैठकर interview देता है और सबसे अच्छी जगह धरना और अनशन भी.. अंत मे एक अच्छा सा समझौता, विधान सभा, संसद की सीट पक्की, सुना है, भाई ने अभी हाल ही में एक आलीशान होटल खरीदा है और जहाँ जाग...