We the people of India

हम भारत के लोग 

#WeThePeopleOfIndia
हमारे कम अक्ल, कम पढ़े लिखे, सीधी-सादे लोग कितनी सहजता से. सत्ता, शक्ति, घमंड और अहंकार से भरे लोगों को उनकी वास्तविक स्थिति का ज्ञान करा देते हैं। इसे हम किसी भी चुनाव परिणाम को देखकर समझ सकते हैं। वहीं अपने को पढ़ा लिखा और  स्वघोषित समाज का अगुआ मानने वाले लोग न जाने, रोज कौन-कौन सी वाहियात बात करते रहते हैं, जबकि हकीकत में ए लोग, अपने व्यक्तिगत हित के लिये कोई एजेंडा सेट कर रहे होते हैं। 
     खासतौर पर संविधान के लिए परेशान मत होइए। अपने लोगों और संविधान की ताकत पर भरोसा रखिये। जिनसे हम असहमत हैं वो भी इसी संविधानिक तरीके से चुनकर आए हुए लोग हैं और फिर दूसरे लोग चुने जाएंगे। कोई भी स्थाई रूप से न तो अजेय है और न ही पराजेय है। बस हमारा एक वोट... 
    लोगों के मौन रहने पर ज्यादातर बौद्धिकों को लगता है कि उन्होंने लोगों को समझा लिया है और लोग उन्हीं के अनुसार समर्थन या विरोध कर रहे हैं। भाई अगर आप ऐसा मानते हैं तो यकीन मानिए आप एकदम गलत हैं क्योंकि जो आप अपने सामने थोड़ी सी भीड़ देखकर खुश हो रहे हैं और फैसला कर रहे हैं, वो सही नहीं है। आपको पता है, हमारी संख्या करोड़ नहीं, अरब में है और सड़क पर चंद लोग दिखते हों, वो भी लाख में हों तो, खुश मत होइए क्योंकि वो किसी बदलाव के काम नहीं आएंगे वो सिर्फ तोड़ फोड़ और नारेबाजी तक ही सीमित रह जाएंगे, क्योंकि जो सड़क पर नहीँ हैं, चुप हैं उनकी संख्या करोड़ों में है और उसकी शक्ति का आप अंदाजा नहीं लगा रहे हैं। जबकि ए चुप रहने वाले चुपचाप... बड़ी से बड़ी सत्ता और सरकारों को बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। 
         इसी क्रम में हम अपने समर्थकों और विरोधियों की टोली का भी थोड़ा सा आकलन करें तो मजा आ जाएगा, हलांकि हम आंख बंद करके समर्थन या विरोध करने की परंपरा से मुक्त नहीं हुए हैं और इस काम में हम पूरे सनातनी हैं। हमने जिस भी रंग का चश्मा लगा रखा है उसे हम किसी कीमत पर उतार नहीं सकते। इसे हम बड़े से बड़े बौद्धिक, कम बौद्धिक या फिर अबौद्धिक के व्यवहार का आकलन करके समझ सकते हैं अगर वह पूर्व में विरोधी था तो वह आज भी विरोधी है और यदि वह समर्थक था तो आज भी उतना ही समर्थक है। उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है वह अपने धुर समर्थक या विरोधी होने की निरंतरता बनाए हुए है।
  वैसे भी हम चाहे जिस जाति, धर्म के हों पर कुछ मामलों में हम वही धुर परंपरावादी ही हैं। कुछ भी हो जाए हम बदलेंगे नहीं, आखिर हम तो सीधे साधे अनुसरण करने वाले लोग ठहरे, बेवजह अक्ल क्यों लगाएं। फिल्हाल जो हो रहा उसका जिंदगी में मजा लिया जाय, घबराइए मत सब अंडर कंट्रोल है। 
    बस थोड़ा सा धीरज रखिए, वैसे भी हम तो सनातनी ठहरे, जैसाकि यहाँ कुछ भी शाश्वत नहीं है, परिवर्तन प्रकृति का सबसे सामान्य नियम है और इसमें निरंतरता है... आप चाहे जिसके समर्थक, विरोधी हों, खुद का और अपने परिवार का ख्याल रखिए और हिंसा से बचिए,...
#rajhansraju 
जय हिंद, जय भारत
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Comments

  1. हम भारत के लोग ऐसे ही हैं

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