nta ugc net result 2022

 NET RESULT DECLAIRED

यूजीसी नेट की परीक्षा इस बार एनटीए को कराने में काफी परेशानी हुई। पूरी परीक्षा के दौरान तमाम तकनीकी खामियां आती रही और कई बार परीक्षा पुनर्निर्धारित करना पड़ा, तमाम व्यवस्था के बाद भी इसे संभालना आसान नहीं है।

यह परीक्षा साल में दो बार होती थी पर अब किसी तरीके से साल में एक बार कराई जा सक रही है, फ़िलहाल इस परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया है और फाइनल answer key  की के साथ आप अपने परिणाम स्कोरकार्ड के साथ एनटीए की वेबसाइट पर देख सकते हैं।  

जिसका लिंक नीचे शेयर कर रहे हैं⬇️⬇️

जैसा कि हर बार होता है। परीक्षा के तौर तरीके ओर परिणाम को लेकर परीक्षार्थियों में असंतोष होता ही है और इस बार कट ऑफ काफी ज्यादा गई है तो इसके पीछे परीक्षार्थी तमाम तरह की कमियां क्रो दोषी मान रहे हैं और आरोप तो यही भी लगा रहे हैं की पेपर आउट हुए, अब इसका कोई पुख्ता परिणाम तो नहीं है परन्तु परीक्षाओं की सुचिता बनाए रखने की जिम्मेदारी परीक्षा नियामक संस्थाओं पर ही है जो उन्हें बनाकर, बचाकर रखनी चाहिए क्योंकि सारी परीक्षाएं में इस तरह की विसंगतिया आए दिन एक आम बात हो गई है ऐसे में एनटीए को भी अपनी साख बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत रहने कि जरूरत है।

वैसे एक सुझाव यह है कि यह परीक्षा साल मे निश्चित समय पर एक ही बार ली जाए तो कोई हर्ज नहीं है और NET, JRF की परीक्षा अलग अलग ली जाए तो बेहतर होगा, वासे भी NET सिर्फ Eligibility test है जो आगे आगे की परीक्षाओं में सम्मिलित होने कि अर्हता देता है। ऐसे में यदि कुछ ज्यादे लोग उत्तीर्ण हो जाएंगे तो सरकार, UGC, NTA के लिए कोई आफत नहीं आ जाएगी जो सिर्फ 6% लोगों को पास कर रहे हैं और ऐसे में एक ही बच्चा बार-बार परीक्षा महज भीड़ बनने के लिए देता राहत है और संस्थाओं और सरकारों को लोगों को परेशान करने में मजा आता है।

अब इसी बार के परिणाम को लीजिए

मान लीजिए Unreserve के लिए cut off 85 Percentile कर दिया जाए और इसी क्रम में categories के लिए भी 80.. 75.. 70.. Percentile एक मानक बना दिया जाए इससे जो बच्चे qualify हो जाएंगे वह दुबारा इस परीक्षा में नहीं बैठेंगे मतलब गंभीर परीक्षार्थी भीड़ बनने से बच जाएंगे। इसके बाद अगर उनकी उम्र और eligibility होगी तभी वह आगे की परीक्षा में सम्मिलित होंगे।

 इसका मतलब यही है कि JRF कि Fellowship के लिए जो लोग परीक्षा देना चाहते हैं उनको भी इस धक्का मुक्की से आजादी मिल जाएगी और इसके लिए एक अलग परीक्षा हो जिसके माध्यम से सीधे पूरे भारत मे रिसर्च में admission हो।

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यदि आप खुद को ऊंँचा उठाना चाहते हैं तो अपनी अध्यात्मिक चेतना को जागृत करना ही पड़ेगा और इसके लिए जो धार्मिक आर्केस्ट्रा होता है उससे आगे जाना पड़ेगा क्योंकि यह महज धन-बल का प्रदर्शन होता है और आप सिर्फ शोर बन कर रह जाते हैं जबकि इसके लिए भक्ति और समर्पण चाहिए जहां अध्ययन, चिंतन-मनन की आवश्यकता है, धन-बल और प्रचार से दूर रहना है, सच्चा, अच्छा और ईमानदार होना है और यह जैसे ही सोचते हैं हमें लगने लगता है कि ऐसा कैसे संभव है? जबकि हमारे बीच ही ऐसे साधक और संन्यासी होते हैं, बस हमारे पास ही वह दृष्टि नहीं होती कि हम उन्हें पहचान सके क्योंकि हमें तो खास भेष-भूषा और मेकअप किए हुए लोगों की आदत है ऐसे में कई बार हमारे बीच कोई सन्यासी न जाने कब से मौजूद होता है और हम उससे ठीक से मिल नहीं पाते और फिर अचानक से वह हमारे बीच से कहीं और चला जाता है क्योंकि संन्यासी किसी एक जगह ठहरता नहीं है, बस वह किसी पड़ाव पर कुछ समय के लिए हमारे साथ होता है, हम उसे पहचानें या न पहचानें इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता ...

©️ Rajhansraju

 























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