ऐसा ही है
हमारी जाति,धर्म,राष्ट्र,क्षेत्र की धारणाएँ कैसी और कितनी मज़बूत हैं कि उनकी सुरक्षा के लिए दुनिया के हर कोने में किसी न किसी प्रकार का तालिबानी संगठन मौजूद है, जो लेखकों, कलाकारों (कोई भी विधा हो ) से इन तमाम चीज़ों की सुरक्षा करने में लगे है, फिर हमारा मीडिया सबसे जल्दी बताने दिखाने के चक्कर में पता नहीं किन-किन को हीरो नहीं तो एंटी हीरो तो बना ही देता है। इसमे सच बोलना, कहना भी जंग लड़ने जैसा ही है कि पता नहीं कौन फतवा जारी कर दे, फिर वोट के लिए परेशान सरकारे कोई भी सही कदम न उठा सकने की अपनी पुरानी आदत पर कायम रहती हैं। अब कुछ बोलने से पहले एकाक संगठन बना लेना चाहिए, नहीं तो किसी ऐसे पूर्ण व्यावसायिक संगठन की सेवा ली जानी चाहिए। क्योकि सरकार आपके पिटने, शिकायत होने, हल्ला मचने से पहले कुछ नहीं करेगी। फिर सब कुछ निपट जाने के बाद, सरकार अपने सही होने का बयान कारणों सहित गिना देगी।
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