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बिकाऊ मीडिया 

मीडिया- इस समय दो प्रकार की है-
     1- गोदी मीडिया- सब कुछ बहुत सही हो रहा है, इससे अच्छा हो ही नहीं सकता, आज से पहले कुछ नहीं था। शीध्र ही दूध और घी की नदियां बहने लगेंगी और अब रामराज्य स्थापित होने वाला ही है.. बस जयकारा लगाते रहिए..
      2- निष्पक्ष मीडिया- जिसका अपना ही एक पक्ष है। दलित, अल्पसंख्यक बेचारे इतने शोषित, उपेक्षित हैं कि इनसे कोई गलती हो ही नहीं सकती फिर इनकी गालीगलौज, हिंसा तो अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता को व्यक्त करने का संवैधानिक मौलिक अधिकार है।
                 अब भाई मीडिया का तो अपना एक एजेंडा यानी पक्ष है और अपने मीडिया वालों का भी अपना एक घराना है कि किसको किस राग में बजना है तो यह भी निष्चित जैसा ही लगता है कि फलाना चैनल या फलाने का लेख है तो उसे इसी सीमित खास नजरिए से ही देखा, समझा या लिखा गया होगा। यानि कुछ भी निष्पक्ष नहीं है, अब कौन सी चीज किस स्तर पर प्रायोजित है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती क्योंकि news बाज़ार में है और एक उत्पाद की तरह है, जिसे मनोरंजक और आकर्षक भी होना है, साथ ही सन सनी भी पैदा करना है। ऐस में news की reporting के बजाय, उनको studio मे computer पर गढ़ने का ज्यादा काम होता है और वह भी background music के साथ। तो फिर लोगों की राय बनाने बिगाड़ने के लिए.. लगातार.  बार.. बार .. सब आपकी मर्जी ...कि आपको क्या, देखना, सुनना, समझना है... अब आप तय करिए कि किस पक्ष में हैं, वैस आपके पास कोई विकल्प नहीं है, फिर भी आप आजाद हैं ..
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Comments

  1. अब आप तय करिए कि किस पक्ष में हैं, वैस आपके पास कोई विकल्प नहीं है, फिर भी आप आजाद हैं ..

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