सब चलता है?
ज्यादा परेशान मत होइए ए पहली घटना नहीं है, वैसे भी हमारा जो रवइया है, इसे आखरी नहीं होने देगा क्योंकि मानसिक गुलामी से मुक्त होने की हमारी कोई इच्छा नहीं है।
खुद पर विश्वास करिए, कहीं कोई चमत्कार नहीं होगा, समस्याओं से पार पाने के लिए आपको ही संघर्ष करना है, गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलिए और झंडे लेकर चलना बंद कीजिए, मेरा वाला सही है उसका वाला गलत है, जैसा हकीकत में नहीं है क्योंकि जब पैसा और पाॅवर किसी के पास जरूरत से ज्यादा हो जाता है, तब आमतौर पर वह अराजकता की तरफ ही ले जाता है-
बाबाओं का जादू कैसे चलता है, इसे बड़ी आसानी से समझा जा सकता है, बस थोड़ा सा अक्ल का इस्तेमाल करना है, ध्यान रखिए दुनिया में कोई चमत्कार नहीं होता, ए सिर्फ सामने वाले की चालाकी है कि हमें किस स्तर पर मूर्ख बना रहा है और हम अपनी परेशानी का समाधान चमत्कारी साधनों में ढूँढ रहे हों तो उसका काम और भी आसान हो जाता है। सीधे-साधे, गरीब, अशिक्षित, अर्द्ध शिक्षित लोगों को क्या कहा जाय, जब हमारे समाज के अति संपन्न, कथित शिक्षित परन्तु लगभग मूर्ख लोग जब इन जाहिल बाबाओं के सामने मत्थे टेककर इन्हें आध्यात्मिक संत बना देते तब सच मानिए धर्म से जुड़ी सभी गतिविधियाँ आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक या और दूसरे स्तरों पर एक आपराधिक साठ गाँठ ही लगती है। बाकी आपकी मर्जी किसी भी भीड़ का हिस्सा बन जाइए और तोड़ फोड़ का मजा लीजिए क्यों कि यह सब जो हो रहा है किसी मकसद के लिए तो होता नहीं (क्योंकि मकसद तो सिर्फ इस भीड़ का फायदा उठाने वाले लोगों के पास होता है। बाकी लोग बेमकसद, बेकार, मुफ्तखोर या फिर दिहाडी मजदूर जैसे होते हैं। जो कहीं भी, किसी भी रंग का कपड़ा पहन सकते हैं) ऐसे में किसी भी भीड़ का हिस्सा बनते ही कानून और व्यवस्था का डर खत्म हो जाता है। फिर लोगों को हर अच्छी दिखने वाली चीज के प्रति जो अपनी नाकामी की वजह से ईर्ष्या और घृणा है, वही उनकी अराजकता मे दिखाई पड़ती है। इन उपद्रवियों के चेहरे पर किसी के लिए कोई भाव नहीं होता, बस नुकसान पहुँचाने का सुख..। किसी क्यों का कोई जवाब नहीं ..
rajhansraju
**********************
Comments
Post a Comment