education
शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर हमने भी अपने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा और उसे उनके fb पेज और what's app पर post कर दिया। खुशी की बात ए है कि c/p के खेल में मेरा नाम ही खत्म हो गया. खैर बात आगे बढ़नी चाहिए और अधिक अच्छे सुझावों के साथ। यही सोचकर हमने सोचा चलो अपनी wall पर भी ... वैसे हमारा प्रदेश उ०प्र० है जो दुनिया में आबादी के मामले में पाँचवा स्थान रखता है यानिकि कि सिर्फ चार देशों की आबादी इससे ज्यादा है
आदरणीय मुख्यमंत्री जी,
बड़ी विनम्रता के साथ शिक्षा व्यवस्था और चयन प्रक्रिया के सन्दर्भ में कुछ सुझाव देना चाहता हूँ। वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से माफिया के हाथों मे जा चुकी है जो उसके संचालन, नकल और प्रकाशन तीनों को नियंत्रित कर रहा है। इसका परिणाम हम private school की जरूरत से ज्यादा मँहगी पाठ्य सामग्री के रूप में दे सकते हैं। व्यवस्था सुधार के लिए कुछ इस तरह के प्रयास किए जा सकते हैं-
(1) प्रदेश में CBSE Board का पाठ्यक्रम और सिर्फ NCERT कि किताबें लागू की जाय। इसका फायदा यह होगा कि हमारे छात्र अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ज्यादा अच्छे से तैयार हो पाएँगे।
(2) एक समान पाठ्यक्रम सभी विद्यालयों में लागू होना चाहिए चाहे वह सरकारी, निजी, Convent, शिशु मंदिर, मदरसा या फिर हिन्दी, अँग्रेजी कोई भी माध्यम हो। शहरी,ग्रामीण क्षेत्रों में बिना मान्यता के खुले नर्सरी स्कूलों को तुरंत बंद किया जाय।
(3) समान पाठ्यक्रम होने पर स्कूल विशेष का आकर्षण खत्म हो जाएगा। बस NCERT की किताब सहजता से उपलब्ध कराना होगा इसके लिए उसके निर्धारित मूल्य पर सभी को छापने और बेचने की छूट होनी चाहिए वह चाहे hard copy, soft copy, black and white या फिर photo state हो। इससे इनकी कीमत काफी कम हो जाएगी और किताबें हर तबके तक पहुँच सकेंगी।
(4) no admission without examination
किसी भी चयन के लिए पिछली परीक्षाओं में प्राप्त अंकों को कोई वरीयता न दिया जाए क्यों कि अलग-अलग पृष्ठभूमि और परिवेश के कारण अंको के कम ज्यादा होने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें नकल की भी भूमिका है। कैसे भी करके अधिक अंक लाने का दबाव छात्र और अभिभावक दोनों पर होता है और जब उन्हीं अंको के आधार पर admission या नौकरी की सम्भावना हो तो यह दबाव और भी अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में पढ़ाई के दौरान पाए गए अंको के आधार पर किसी प्रकार की वरीयता न दी जाय। इसको हम IAS, PCS की परीक्षाओं से समझ सकते हैं जहाँ एकमात्र योग्यता स्नातक होती है और उसकी कठिन परीक्षा, चयन प्रक्रिया से पर्याप्त काबिल लोगों को छाँट लिया जाता है। एक तरीके से चयनित होने का सबको समान अवसर मिलता है और कौन, कब, किसमे, कितने अंक पाए इससे कोई संबंध नहीं होता बस अंतिम अर्हयता होनी चाहिए।
खासतौर से शिक्षकों के चयन में यह बहुत ही आवश्यक है क्योंकि विगत वर्ष में नकल से खूब नम्बर पाए लोग सरकारी अध्यापक बन गए हैं जबकी उनमें सामान्य समझ का भी अभाव है।
ऐसे में यदि इनका चयन C-TET या UP-TET की योग्यता धारण करने वालों के बीच एक सामान्य सी परीक्षा करा कर ली जाती तो पर्याप्त अच्छे शिक्षक मिल जाते और चयन की लम्बी प्रक्रिया से भी छुटकारा मिल जाता और शीघ्रता से चयन प्रक्रिया पूरी हो जाती।
(5) प्रदेश में सभी तरह की नौकरियों के लिए सिर्फ "उ०प्र० लोक सेवा आयोग" को अधिकार होना चाहिए और इसके लिए कार्य क्षमता का विस्तार किए जाने की जरूरत है। इसके साथ ही अन्य सभी आयागों को भंग कर दिया जाना चाहिए क्योंकि उनके Chairman के चयन से लेकर हर तरह की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार एक अनिवार्य अंग के रूप में है और इस भ्रष्टाचार को रोकने का आसान तरीका इनको खत्म करना है। सारी भर्ती प्रक्रिया एक जगह से होने पर सरकार अपना ध्यान वहाँ पर आसानी से लगा सकेगी क्योंकि अब भी तमाम आरोपों के बावजूद "लोक सेवा आयोग" की चयन प्रक्रिया ईमानदार है। इसी का क्षमता विस्तार करके अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जा सकता है।
भवदीय-
प्रदेश का एक आम नागरिक
राजहंस राजू
ए fb पर( 14 April 2017) लिखी गयी पुरानी post है। जिसका link ए है-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1547708908636240&id=100001914364400
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